असम के कोकराझार जिले में शुक्रवार को आतंकी हमले में 12 नागरिकों सहित एक दर्जन से ज्‍यादा लोगों की जान गई। साथ ही डेढ़ दर्जन से ज्‍यादा लोग जख्‍मी हो गए। हमलावरों ने पहले ग्रेनेड फेंका और फिर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना कोकराझार के बाजार में हुई। यह हमला गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पाकिस्‍तान में सार्क देशों के गृह मंत्रियों की कांफ्रेंस में भाग लेकर आने के एक दिन बाद हुआ है। यह हमला इस्‍लामिक स्‍टेट के हमलों की तरह है। हालांकि इसमें आईएस की भूमिका होना संदिग्‍ध है। बताया जा रहा है कि हमलावरों की संख्‍या 3-4 से के बीच है और अभी तक उनकी पहचान नहीं हुई है। सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाल लिया है और ऑपरेशन शुरू हो गया है। हमले के पीछे स्‍थानीय उग्रवादी संगठनों का हाथ भी माना जा रहा है।

असम का कोकराझार जिला हिंसा से जूझता रहा है। यहां पर बोडो जनजाति से जुड़े उग्रवादी संगठन का हिंसा के पीछे हाथ माना जाता है। साल 2014 में हुई हिंसा में करीब 32 लोग मारे गए थे। यहां पर हिंसा की एक बड़ी वजह मुस्लिमों की बढ़ती आबादी भी है। बोडो लोगों का कहना है कि यहां पर पड़ोसी देश बांग्‍लादेश से बड़ी संख्‍या में मु‍सलमान आकर बस गए हैं। हाल के सालों में बोडो यहां पर माइनोरिटी में आ गए। इसके चलते हिंसा बढ़ी है। इससे पहले साल 2012 में हुई हिंसा में भी 108 लोगों की जान गई थी। इस हिंसा के बाद यहां पर दंगे भी हुए थे।

असम के कोकराझार में ISIS की तरह हमला, बाजार में अंधाधुंध फायरिंग में 12 नागरिकों की मौत

हिंसा के पीछे सबसे बड़ा हाथ नेशनल डेमोक्रटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड का माना जाता है। बोडो जनजाति लंबे समय से अलग बोडो राज्‍य की मांग भी कर रही है। इससे जुड़ी पार्टी बोडोलैंड पीपल्‍स फ्रंट चुनाव भी लड़ती है। वर्तमान में वह भाजप के साथ असम सरकार में पार्टनर भी है।