भारत को वैसे तो मंदिरों का देश कहा जाता है। लेकिन एक स्थान ऐसा भी है जहां भारतीय शैली के साथ-साथ चाइनीज, श्रीलंकाई समेत कई प्रकार के मंदिर बने हुए हैं। ये स्थान कहीं और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश का कुशीनगर है। यहां एक साथ कई संस्कृतियों का मिलन देखने को मिलता है। जहां एक ओर यह स्थान हिंदू धर्म के लिए भी काफी मायने रखता है तो वहीं यह स्थान बौद्ध धर्म के लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि यहीं पर भगवान बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था।
भगवान राम से है खास कनेक्शन
उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर में बसे कुशीनगर का धार्मिक आधार पर बहुत महत्व है। हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की माने तो कुशीनगर को भगवान राम के बेटे कुश का शहर माना जाता है। वहीं इतिहासकारों की मानें तो कुशीनगर पहले कुसीनारा या कुसावती के नाम से जाना जाता था। जो कोसल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। जिसको आगे चलकर कुशीनगर से जाना जाने लगा।
बौद्ध धर्म से जुड़े रत्नों की बात करें तो कुशीनगर एक महत्वपूर्ण विरासत है। यह शहर प्राचीन काल से ही अपनी महत्ता रखता है। यहां भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल है। यहीं पर 80 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने जीवन चक्र से मुक्ति प्राप्त किया था।
1861 में मिली बुद्ध की प्रतिमा
साल 1861 में खुदाई के दौरान इस प्राचीन शहर को खोजा गया था। इसका श्रेय अंग्रेज अधिकारी जनरल ए कनिंघम को जाता है। इस दौरान खुदाई में छठी शताब्दी में बनी भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा प्राप्त हुई थी। जिसके बाद 1904 से लेकर 1912 के बीच शहर के कई स्थानों पर खुदाई हुई। जिसके परिणाम स्वरूप प्राचीन कालीन कई मठ और मंदिरों की जानकारी प्राप्त हुई।
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भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में बौद्ध धर्म को मानने वाले रहते हैं। जिसमें से जापान, चीन, कंबोडिया, श्रीलंका और थाईलैंड के लोग प्रमुख रूप से हैं। इसी वजह से कुशीनगर में इन जगहों की शैली में कई बौद्ध मंदिर बने हुए हैं।
लेटी हुई है बुद्ध की प्रतिमा
कुशीनगर में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थल है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर की लंबी दाहिने करवट लेटी हुई प्रतिमा है। यह प्रतिमा बुद्ध के शरीर त्यागने की स्थिति को दर्शाती है। यही प्रतिमा 1876 के समय खुदाई में प्राप्त हुई थी। इस प्रतिमा का बौद्ध धर्म से जुडे़ लोगों में काफी महत्व है। यहां प्रतिदिन बौद्ध धर्म से जुड़े लोग यहां प्रार्थना करने आते हैं। इसको बौद्ध तीर्थयात्रा सर्किट के महत्वपूर्ण भाग है।
श्रीलंका-चीन वास्तुकला शैली में बना है मंदिर
यहां पर श्रीलंका, इंडोनेशिया, जापान के बौद्ध अनुयायियों के सहयोग से मंदिर बनाई गई है। जिसे श्रीलंका मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसमें भगवान बुद्ध की प्रतिमा स्थापित की गई है। जो जापान से लाई गई है। कुशीनगर में चाइनीज वास्तुकला के अनुसार चीनी शैली में मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर को चीन और वियतनाम के मिश्रित वास्तुकला डिजाइन से बनाया गया है।