केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ऐलान किया कि वे खेतों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने और परेशानियों को दूर करने के लिए हर मंगलवार को किसानों और कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे किसानों के साथ “सीधा संवाद” बढ़ेगा। चौहान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की तीसरी सरकार के पहले 100 दिनों में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसलों और पहलों की जानकारी देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों में वे कई राज्यों के कृषि मंत्रियों और उनकी टीमों के साथ मीटिंग कर चुके हैं।
कृषि मंत्री ने कहा- वे अब खेतों में जाकर किसानों से मिलेंगे
चौहान ने कहा, “अब मैं कृषि मंत्री के तौर पर खेतों में जाने की कोशिश कर रहा हूं। हम कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में बैठकें कर रहे हैं; खेतों में भी उनसे मिलने की कोशिश कर रहे हैं।” कृषि को राज्य का विषय बताते हुए चौहान ने कहा कि केंद्र राज्यों के साथ काम करता है और सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि कृषि भवन, जिसमें कृषि मंत्रालय और कई अन्य मंत्रालय हैं, केवल केंद्रीय मंत्रियों और केंद्रीय अधिकारियों के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्यों के अफसरों को भी वहां आना चाहिए और चर्चा करनी चाहिए।
मंत्री ने कहा कि अब तक मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, असम, मेघालय और हरियाणा के कृषि मंत्रियों के साथ बैठकें हो चुकी हैं। चौहान ने कहा कि उनका प्रयास किसानों के जीवन को बेहतर बनाना और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाए रखना है। उन्होंने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए किसानों की सेवा करना भगवान की पूजा के समान है।”
हाल के कृषि विरोधों के मद्देनजर चौहान की यह टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है। पंजाब और हरियाणा के किसान इस साल की शुरुआत से ही शंभू सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। चौहान ने यह भी घोषणा की कि अक्टूबर 2024 में ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर एक नया कार्यक्रम – आधुनिक कृषि चौपाल – शुरू किया जाएगा, जिसमें किसान लाइव प्रश्न-उत्तर सत्रों के माध्यम से कृषि विशेषज्ञों से सीधे बातचीत कर सकते हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि किसानों की शिकायतों के निवारण के लिए एक कॉल सेंटर शुरू किया जाएगा।
चौहान ने कहा कि सरकार किसान कल्याण और कृषि विकास के लिए “छह सूत्री रणनीति” पर काम कर रही है। इसमें उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना और उत्पादन लागत को कम करना शामिल है। चौहान ने कहा कि फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने हाल ही में किसानों को 65 फसलों की 109 किस्मों के नए बीज समर्पित किए, जो जलवायु के अनुकूल, कीट प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाले हैं। चौहान ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि किसानों को समय पर सस्ती खाद उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने कहा कि यूरिया के एक बैग की कीमत 2,366 रुपये है, जबकि यह किसानों को 266 रुपये में उपलब्ध कराया जाता है; डाई अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) के एक बैग की कीमत 2,433 रुपये है, लेकिन किसानों को 1,350 रुपये में उपलब्ध कराया जाता है। तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद केंद्र द्वारा गठित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति के बारे में पूछे जाने पर चौहान ने कहा, “समिति की लगभग 23 बैठकें हो चुकी हैं। रिपोर्ट को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। समिति लगातार काम कर रही है।” बाद में अलग से उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही समिति की रिपोर्ट जारी करेगी।