Khinvsar Rajasthan ByPolls Election/Chunav Result 2024: राजस्थान की सबसे हॉट सीट खींवसर पर बड़ा उलटफेर हो गया है। यहां बीजेपी के रेवतराम डांगा ने जीत दर्ज कर ली है। आरएलपी की उम्मीदवार कनिका बेनीवाल चुनाव हार गई है। रेवतराम डांगा को मतगणना के पूरे 20 राउंड होने के बाद 108402 वोट मिले और वह 13870 वोट से यह चुनाव जीत गए हैं। आरएलपी की कनिका बेनीवाल को 94532 वोट मिले हैं। कांग्रेस प्रत्याशी रतन सिंह को 5434 वोट मिले हैं।

यहां पर 13 नवंबर को वोटिंग हुई थी और लोगों ने जमकर वोट डाले थे। सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई थी। आज यानी 23 नवंबर को वोटों की गिनती शुरू होगी।

क्या रहे नतीजे?

पार्टीप्रत्याशीवोट
आरएलपीकनिका बेनीवाल 94532
बीजेपीरेवतराम डांगा (WON)108402
कांग्रेसरतन सिंह 5434

2023 चुनाव परिणाम

पिछले विधानसभा चुनाव 2023 में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल को 79492 वोट हासिल हुए, जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रेवंतराम डांगा को 77433 मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार तेजपाल मिर्धा को 27763 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था। निर्दलीय प्रत्याशी दुर्ग सिंह को 15877 और अभिनव राजस्थान पार्टी के प्रत्याशी डॉ अशोक चौधरी को 4357 वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार नेमाराम को 1155 वोट ही मिल सके। विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से हनुमान बेनीवाल 2059 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे।

पार्टीप्रत्याशीवोटजीते/हारे
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टीहनुमान बेनीवाल79492 जीते
भारतीय जनता पार्टीरेवंतराम डांगा 77433हारे
कांग्रेसतेजपाल मिर्धा27763हारे

खींवसर विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल का दबदबा

खींवसर विधानसभा सीट का गठन 2008 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुआ था। 2008 के चुनाव में हनुमान बेनीवाल भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। इसके बाद वह साल 2013 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी दंगल में उतरे और बाजी मारने में कामयाब रहे।

साल 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों में वे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2019 के उपचुनाव में उनके भाई नारायण बेनीवाल चुनाव जीते थे और इस बार 2024 के उपचुनाव में उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल चुनाव दंगल में उतरी हैं। वहीं खींवसर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर जाटों की संख्या काफी अच्छी है। वहीं मेघवाल, राजपूत, मुस्लिम भी यहां पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।