कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के एक साल बाद अब उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भविष्य के चुनावों को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 2028 के विधानसभा चुनाव नतीजे यह तय करेंगे कि कांग्रेस की “गारंटी योजनाएं” जनता तक कितनी प्रभावी तरीके से पहुंची हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं को चेताते हुए उन्होंने कहा कि अगली बार का जनादेश उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन होगा।

राज्य के जिला और तालुका स्तर की गारंटी समितियों के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए शिवकुमार ने साफ कर दिया कि अब वक्त है जमीन पर मेहनत दिखाने का। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार ने राज्य बजट का 25 प्रतिशत यानी 1 लाख करोड़ रुपये गरीबों की सहायता के लिए आवंटित किए हैं, जिनमें से 50,000 करोड़ रुपये गारंटी योजनाओं पर खर्च हो चुके हैं।

हर पंचायत और वार्ड स्तर पर गारंटी सम्मेलन आयोजित करने की योजना

शिवकुमार ने कहा कि गारंटी समितियों की जिम्मेदारी है कि वे इन योजनाओं को हर जरूरतमंद तक पहुंचाएं, और यही अगला चुनाव तय करेगा। उन्होंने ऐलान किया कि आने वाले दिनों में हर पंचायत और वार्ड स्तर पर गारंटी सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, ताकि जनता से सीधा संवाद हो सके।

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उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी की योजनाएं – चाहे वो मनरेगा हो या जमीन से जोतने वालों को जमीन देने की नीति – दूसरी पार्टियों से अलग और जमीनी हैं। हम भावना नहीं, जमीनी मुद्दों की राजनीति करते हैं।”

शिवकुमार ने याद दिलाया कि पार्टी ने सत्ता में आने के बाद कार्यकर्ताओं को अहम ज़िम्मेदारियां दी हैं। उन्होंने कहा, “प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 15 प्रमुख सदस्यों को सशक्त बनाया गया है। अब उनका मूल्यांकन होगा।”

उन्होंने ये भी बताया कि पार्टी कार्यकर्ता घर-घर जाकर संपत्ति रिकॉर्ड अपडेट कराने में जनता की मदद कर रहे हैं। शिवकुमार ने कहा, “लोगों को अब पता चल रहा है कि उनकी जमीनें किसके नाम पर दर्ज हैं।”

शिवकुमार ने कांग्रेस की महिला आरक्षण नीति पर भी बात की। उन्होंने कहा, “हम 33 प्रतिशत आरक्षण की वकालत करते रहे हैं। अगर इसे लागू किया गया, तो अगली विधानसभा में 75 महिला विधायक देखने को मिल सकती हैं। पंचायतों में तो पहले से ही 50 प्रतिशत आरक्षण है।” उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारी सरकार ने शिक्षा, काम और अवसरों तक पहुंच खोली है, जिससे कर्नाटक भर में लाखों महिलाओं की रोजमर्रा की जिंदगी बदल रही है।