कानपुर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में अभियुक्त विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस महकमा लगातार कोशिशों में जुटा है। हाल ही में उसके फरीदाबाद में छिपे होने की बात सामने आई थी। इसके बाद उसे नोएडा में भी देखे जाने की चर्चा थी। हालांकि, पुलिस किसी भी खुलासे से बचते हुए धीरे-धीरे विकास के करीबियों के जरिए उस तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। विकास के भतीजे अमर दुबे को पकड़ने के लिए तो पुलिस ने यही जाल बिछाया था। बताया गया है कि पुलिस को जब फरीदाबाद के एक होटल में विकास के छिपे होने की जानकारी मिली, तभी उसके तीन साथियों से अमर के भी हमीरपुर में मौजूद होने की बात पता चली। इसके बाद ही पुलिस ने उसे पकड़ने का प्लान बनाया।
गौरतलब है कि अमर दुबे विकास का करीबी सहयोगी था। वह विकास के लिए वसूली और मारपीट जैसे काम भी करता था। बताया जाता है कि उसकी शादी 9 दिन पहले ही हुई थी। इसके लिए अमर ने लड़की के परिवारवालों से बंदूक की नोक पर हां बुलवा लिया था। हालांकि, बिकरु गांव में हुई घटना के बाद से ही वह फरार था। पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी रखा। अमर विकास दुबे के रिश्तेदारों में तीसरा है, जिसे पुलिस ने इस तरह मार गिराया। इससे पहले शिवली के जंगलों में ही पुलिस ने विकास दुबे के चाचा प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे का एनकाउंटर किया था।
अमर की गिनती विकास के शार्प शूटरों में होती थी। विकास उसे हर महीने बतौर वेतन 10-12 हजार रुपये देता था। विकास के इशारे पर लोगों को पीटने, वसूली करने और शराब ठेकों से वसूली करने में भी अमर आगे रहता था। अमर की पत्नी और पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
अमर को जिंदा दबोचना चाहती थी एसटीएफः बताया गया है कि अमर दुबे गैंगस्टर विकास दुबे का करीबी साथी था और चौबेपुर के बिकरु गांव में पुलिसवालों की हत्या की साजिश में भी शामिल था। इसलिए पुलिस उसको जिंदा ही दबोचना चाहती थी, ताकि विकास दुबे के बारे में जानकारी निकलवाई जा सके। हालांकि, एसटीएफ ने सुबह उसे घेरने के बाद जब सरेंडर करने के लिए कहा तो उसे फायरिंग शुरू कर दी। एसटीएफ उसे जिंदा पकड़ना चाहती थी, लेकिन फायरिंग कर भागने की फिराक में लगे अमर को रोकने के लिए जवाबी फायरिंग की गई। इसमें उसकी मौत हो गई।
