Kaifi Azmi (कैफ़ी आज़मी) Songs, Poetry, Poems, Quotes, Shayari, Biography: दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन में से एक गूगल ने डूडल के जरिए आज उर्दू के मशहूर शायर कैफी आजमी को याद किया है। गूगल कैफी आजमी की 101वें जन्मदिन को सेलिब्रेट कर रहा है। गूगल ने अपने डूडल में कैफी आजमी की तस्वीर लगाई है। इस तस्वीर में वे माइक पर कुछ बोलते हुए नजर आ रहे हैं।

कैफी आजमी सिर्फ अपनी नज़्मों तक ही सीमित नहीं थे बल्कि अपनी जिंदगी में भी काफी प्रगतिशील थे। नज्मों लिखने वाले शायर ने अमीरी-गरीबी के अंतर को मिटाने की बात की। पुरुषों और महिलाओं को समान दर्जा देने की वकालत की। कैफी प्रमुख नज्मों में से एक ‘‘औरत’’ को देश में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों में अक्सर गाते हुए सुना गया। यह कविता महिलाओं के अधिकारों और बराबरी की पैरवी करती है।

सर्च इंजन गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, ‘‘11 साल की उम्र में उन्होंने पहली कविता गजल की शैली में लिखी। महात्मा गांधी के 1942 के भारत छोड़ो स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर वह एक उर्दू अखबार के लिए लिखने के वास्ते बंबई चले गए थे। उन्होंने कविताओं का अपना पहला संग्रह ‘झंकार’ (1943) प्रकाशित किया और साथ ही प्रभावशाली प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) का सदस्य भी बन गए।’’

 

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22:27 (IST)14 Jan 2020
वो करना जिससे तुम्हें खुशी मिलती होः कैफी आजमी

अपने पिता के बारे में बताते हुए उनके बेटे बाबा आजमी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब मैं 18 साल का हुआ तो एक दिन उन्होंने (कैफी आजमी) मुझसे कहा कि 'बेटे जिंदगी में वो सब कुछ करो जिसमें तुम्हें खुशी मिलती हो, लेकिन एक चीज याद याद रखना कि सबमें अव्वल नंबर रहना। 

18:43 (IST)14 Jan 2020
जीवनी पर लिखा चुका है नाटक

कैफी आजमी की जीवनी 'याद की रहगुजर' पर शबाना आजमी के पति और प्रसिद्ध गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर नाटक 'कैफी और मैं' तैयार कर चुके हैं। इस नाटक का देश के साथ ही विदेश में भी कई बार मंचन हो चुका है।

18:15 (IST)14 Jan 2020
तीन फिल्मफेयर पुरस्कार मिले

कैफी आजमी को  प्रसिद्ध फिल्म ‘‘गर्म हवा’’ (1973) की स्क्रिप्ट, डायलॉग और गीतों के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। उन्हें प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया और सर्वोच्च साहित्य सम्मानों में से एक साहित्य अकादमी फेलोशिप भी दी गई।

18:01 (IST)14 Jan 2020
1941 में पहला कविता संग्रह झंकार

उन्होंने कविताओं का अपना पहला संग्रह ‘झंकार’ (1943) प्रकाशित किया और साथ ही प्रभावशाली प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) का सदस्य भी बन गए।

17:49 (IST)14 Jan 2020
पैसे की कमी के कारण फिल्मी दुनिया का रुख किया

पैसे की कमी के कारण कैफ़ी ने फ़िल्मी दुनिया की तरफ रुख किया। यहां उन्होंने फिल्मों के लिए गीत लिखे। सबसे पहले कैफ़ी आजमी को शाहिद लतीफ़ की फ़िल्म ‘बुज़दिल’ में दो गीतों को लिखने का मौक़ा मिला। धीरे-धीरे वह फिल्मी दुनिया में रम गए।

17:11 (IST)14 Jan 2020
मुशायरे में हुई थी अपनी पत्नी से पहली मुलाकात

बेटी शबाना के अनुसार कैफी आजमी अपनी पत्नी से पहली बार फरवरी 1947 में प्रोग्रेसिव राइटर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान एक मुशायरे में मिले थे। शाम को उन्होंने मुशायरे में हिस्सा लिया। उनकी मां शौकत आगे की सीट पर बैठी थीं।

17:02 (IST)14 Jan 2020
सामाजिक मुद्दों को लेकर भी उठाते थे आवाज

वे सामाजिक मुद्दों को लेकर भी अपनी आवाज बुलंद करते थे। जानी-मानी हिंदी सिनेमा अदाकारा शबाना आजमी उनकी ही बेटी हैं।

16:52 (IST)14 Jan 2020
गीत और स्क्रीनप्ले (बॉलीवुड भी) भी लिखने के लिए काफी मशहूर थे

शेरो-शायरी के अलावा आजमी गीत और स्क्रीनप्ले (बॉलीवुड भी) भी लिखने के लिए काफी मशहूर थे। साथ ही वे सामाजिक मुद्दों को लेकर भी मुखर होकर आवाज बुलंद करते थे। जानी-मानी हिंदी सिनेमा अदाकारा शबाना आजमी उनकी ही बेटी हैं।

16:31 (IST)14 Jan 2020
11 साल की उम्र में लिखी थी पहली कविता

कैफी ने प्रेम कविताएं भी लिखीं, एक्टिविस्टों के लिए नारे भी तैयार किए और बॉलीवुड के लिए गाने भी लिखें। मात्र 11 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली कविता लिखी थी। 

16:15 (IST)14 Jan 2020
अख्तर हुसैन रिजवी था असली नाम

कैफी आजमी उर्दू के एक बड़े शायर थे। उनका जन्म आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में 14 जनवरी 1919 को हुआ था। उनका असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। उनके द्वारा गाया गया गीत 'कर चलें हम फिदा...' आज भी हर 15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर पूरे देश में सुनाई देता है। 

15:30 (IST)14 Jan 2020
कई पुरस्कार से हुए सम्मानित

कैफी आजमी ने एम ए सथ्यू की प्रसिद्ध फिल्म ‘‘गर्म हवा’’ (1973) की पटकथा, संवाद और गीतों के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार समेत कई पुरस्कार जीते। उन्हें प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया और सर्वोच्च साहित्य सम्मानों में से एक साहित्य अकादमी फेलोशिप भी दी गई।

15:26 (IST)14 Jan 2020
भारत छोड़ो आंदोलन से हुए थे प्रभावित

सर्च इंजन गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, ‘‘11 साल की उम्र में उन्होंने पहली कविता गजल की शैली में लिखी। महात्मा गांधी के 1942 के भारत छोड़ो स्वतंत्रता आंदोलन से प्रेरित होकर वह एक उर्दू अखबार के लिए लिखने के वास्ते बंबई चले गए थे। उन्होंने कविताओं का अपना पहला संग्रह ‘झंकार’ (1943) प्रकाशित किया और साथ ही प्रभावशाली प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) का सदस्य भी बन गए।’’

14:59 (IST)14 Jan 2020
विरोध की आवाज बने

कैफी प्रमुख नज्मों में से एक ‘‘औरत’’ को देश में चल रहे नागरिकता संशोधन कानून विरोधी प्रदर्शनों में अक्सर गाते हुए सुना गया। यह कविता महिलाओं के अधिकारों और बराबरी
की पैरवी करती है।

14:05 (IST)14 Jan 2020
प्रख्यात कवि

गूगल ने कवि, पटकथा लेखक और सामाजिक बदलाव के पैरोकार कैफी आजमी को उनके 101वें जन्मदिन पर रंग बिरंगा डूडल बनाकर मंगलवार को श्रद्धांजलि दी। आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सैयद अतहर हुसैन रिजवी का जन्म हुआ बाद में वह कैफी आजमी के नाम से जाने गए। आजमी प्रेम के साथ-साथ संघर्ष की कविताओं के प्रति  जुनून के जरिए देश में 20वीं सदी के प्रख्यात कवियों में शुमार हुए।

13:29 (IST)14 Jan 2020
शौकत को बनाया जीवनसंगिनी

सादगीभरा जीवन जीने वाले कैफी काफी काफी हंसमुख स्वभाव के थे। अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने मुंबई में उर्दू जर्नल 'मजदूर मोहल्ला' का संपादन किया। यहीं उनकी मुलाकात शौकत से हुई। कुछ समय बाद दोनों ने पूरी जिंदगी एक साथ रहने का फैसला किया।

12:58 (IST)14 Jan 2020
नज़्मों तक ही सीमित नहीं थे कैफी आजमी

कैफी आजमी सिर्फ अपनी नज़्मों तक ही सीमित नहीं थे बल्कि अपनी जिंदगी में भी काफी प्रगतिशील थे। नज्मों लिखने वाले शायर ने अमीरी-गरीबी के अंतर को मिटाने की बात की। पुरुषों और महिलाओं को सामान दर्जा देने की वकालत की।

12:25 (IST)14 Jan 2020
कर चले, हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों

कैफी आजमी की यह गीत आज भी युवाओं में नया जोश भरती है।

सांस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बांकापन साथियों, अब तुम्हारे ...

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क़ दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

12:19 (IST)14 Jan 2020
सामाजिक मुद्दों को लेकर भी मुखर रहते थे

शेरो-शायरी के अलावा आजमी गीत और स्क्रीनप्ले (बॉलीवुड भी) भी लिखने के लिए काफी मशहूर थे। साथ ही वे सामाजिक मुद्दों को लेकर भी मुखर होकर आवाज बुलंद करते थे। जानी-मानी हिंदी सिनेमा अदाकारा शबाना आजमी उनकी ही बेटी हैं।

11:11 (IST)14 Jan 2020
उत्तर प्रदेश में हुआ था जन्म

कैफी आजमी उर्दू के एक बड़े शायर थे। उनका जन्म आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में 14 जनवरी 1919 को हुआ था। उनका असली नाम अख्तर हुसैन रिजवी था। 

10:41 (IST)14 Jan 2020
गूगल ने दी कैफी आजमी को जन्मदिन की बधाई

दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन में से एक गूगल ने डूडल के जरिए आज उर्दू के मशहूर शायर कैफी आजमी को याद किया है। गूगल कैफी आजमी की 101वें जन्मदिन को सेलिब्रेट कर रहा है। गूगल ने अपने डूडल में कैफी आजमी की तस्वीर लगाई है। इस तस्वीर में वे माइक पर कुछ बोलते हुए नजर आ रहे हैं।