ग्लोबल दवा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का गलत हिप इंप्लांट के मामले में दोहरा रवैया सामने आया है। कंपनी अपने दोषपूर्ण प्रोडक्ट के खिलाफ अमेरिका में दर्ज 6000 मामलों के लिए जहां 1 अरब डॉलर का हर्जाना भरने को तैयार है। वहीं, कंपनी भारत में अपने गलत हिप इंप्लाट के कारण प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने को तैयार नहीं है।
दवा कंपनी ने 2003 से 2013 के बीच बेचे गए अपने ‘दोषपूर्ण’ पिनेकल हिप इंप्लांट के खिलाफ मामले में अमेरिकी अदालत में यह हर्जाना देना स्वीकार किया है। वहीं, भारत में स्थिति इसके विपरीत है। यहां कंपनी अपने दोषपूर्ण हिप इंप्लाट बिक्री से प्रभावित रोगियों मुआवजा देने में आनाकानी कर रही है।
सरकार की तरफ से मुआवजा दिए जाने के खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट में केस दायर किया है। सरकार की तरफ से यह मुआवजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन गठित एक्सपर्ट कमेटी ने तय किया था। समिति के अनुसार गलत हिप इंप्लाट से प्रभावित मरीजों के लिए 20 लाख से एक करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद मेडिकल रिपोर्ट के मुताबित कंपनी का यह दावा है कि भारत में पिनेकल के मामले में उसे कोई गलत इंप्लाट के मामले की जानकारी ही नहीं है। मालूम हो कि पिछले साल नवंबर में इंडियन एक्सप्रेस ने पिनेकल इंप्लांट से बुरी तरह से प्रभावित तीन मरीजों की पहचान की थी। अब ऐसे मरीजों की संख्या 4 से अधिक है।
इनमें से तीन लोगों को तो मालूम ही नहीं है कि उन्हें पिनेकल का गलत हिप इंप्लाट किया गया है। जबकि दो मामलों में ई-मेल से यह स्पष्ट है कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी को मालूम है कि उसके प्रोडक्ट के कारण रोगियों की हालत खराब हो चुकी है। यहां हर रोगी अपने स्तर पर अपनी लड़ाई खुद लड़ रहा है। अभी तक उसका प्रयास दीवार में सिर मारने के समान ही है।
कंपनी के गलत प्रोडक्ट के चलते हिप इंप्लांट कराने वाले रोगियों की बॉडी में कोबाल्ट-क्रोमियम की रिसाव हो रहा है। इससे स्वास्थ से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं। इनमें खून में मेटल पॉइजनिंग, लगातार दर्द, शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचना शामिल है। इस बारे में पूछे जाने पर कंपनी ने कहा कि उसके पास अभी तक कोई जानकारी नहीं है। वहीं कंपनी ने अमेरिका में सेटलमेंट किए जाने के मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

