प्रयागराज में अर्द्धकुंभ मेले से पहले ही हरिद्वार के नगा साधुओं के अखाड़ों में अखाड़ेबाजी शुरू हो गई है। अखाड़ों में एक दूसरे महन्त को बर्खास्त करने का काम शुरू हो गया है। इससे अखाड़ों की राजनीति गरमा गई है। पूरे देश में कुल तेरह अखाड़े हैं। इनके संचालन के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद है। अखाड़ा परिषद कुंभ मेले में प्रशासन और अखाड़ों के बीच अखाड़ों के शाही स्नानों के क्रम का निर्धारण करती है। श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने अखाड़े के सचिव महंत बलवंत सिंह और कोठारी महंत गोपाल सिंह को अखाड़े से बर्खास्त कर दिया था। इनका मामला विभिन्न न्यायालयों में चल रहा है। महंत गोपाल सिंह ने अखाड़े के कोठारी पद से बर्खास्तगी के खिलाफ अपने समर्थक साधु-संतों के साथ हरिद्वार के उपनगर कनखल स्थित श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के मुख्यालय के बाहर धरना दिया था। एक हफ्ते चले इस धरने को जिला प्रशासन के दबाव में बडी मशक्कत के बाद हटाया गया। इस धरने के दौरान अखाड़े के चारों तरफ भारी पुलिस बल तैनात किया गया। अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने अखाड़े के बर्खास्त कोठारी गोपाल सिंह और उनके समर्थकों पर अखाड़े की संपत्ति खुर्दबुर्द करने का आरोप लगाया। साथ ही अपनी जान को भी खतरा बताया।
उधर, दूसरी ओर महंत गोपाल सिंह के खेमे का साथ छोड़कर अखाड़े के सचिव महंत बलवंत सिंह श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के खेमे में आ पहुंचे। महंत बलवंत सिंह ने अखाड़े के बर्खास्त कोठारी महंत गोपाल सिंह पर अखाड़े के साढ़े आठ लाख रुपए का गबन करने का आरोप लगाया और अखाड़े के बाहर धरना देने की कड़े शब्दों में निन्दा की। उन्होंने कहा कि अखाड़े की परंपरा और गरिमा के खिलाफ है। वहीं अखाड़े के बर्खास्त कोठारी महंत गोपाल सिंह ने कहा कि उन्हें न्यायालय के आदेश के बावजूद अखाड़े के कोठारी पद का कार्यभार नहीं लेने दिया जा रहा है। नगा संन्यासियों के सबसे बड़े श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि महाराज ने अखाड़े के कोठारी मनोहर पुरी, थानापति त्रिकालदर्शी शिवमपुरी महाराज, महंत गोल्डन बाबा, महंत पूजा गिरि और महंत देवेंद्र पुरी को अखाड़े से बर्खास्त कर दिया। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि की मौजूदगी में अखाड़े की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यह कड़ी कार्रवाई की है। बर्खास्त इन सभी महंतों को अखाड़ा खाली करने के आदेश श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने दिए है। श्रीमहंत हरि गिरि का कहना है कि बर्खास्त किए गए सभी महंत अखाड़े की संपत्तियों को खुर्दबुर्द करने में लगे हुए थे और घोर अनुशासनहीनता कर अखाड़े की छवि को धूमिल कर रहे थे।
महंत गोल्डन पुरी ने आरोप लगाया कि उन्हें गलत ढंग से अखाड़े से बर्खास्त किया गया है। अखाड़े के श्रीमहंत हरि गिरि और महंत प्रेम गिरि उनके शिष्यों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहे थे। उनपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। महंत त्रिकालदर्शी शिवम पुरी महाराज ने कहा कि वे अभी भी अखाड़े से जुड़े हुए हैं और वे प्रयागराज कुंभ मेले में अपने शिष्यों के साथ भाग लेने जाएंगे। श्री पंच अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि अखाड़ों की अपनी परंपरा और गरिमा होती है। अखाड़े के सभी संत-महंतों को इस परंपरा का ख्याल रखना चाहिए और किसी भी साधु को ऐसा प्रयास नहीं करना चाहिए जिससे अखाड़े की छवि धूमिल हो।
कितने अखाड़े
सात अखाड़े आदि जगद्गुरु शंकराचार्य की ओर से स्थापित दशनाम नगा संन्यासी अखाड़े हैं। इनमें श्रीपंच दशनाम जूना भैरव अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा, श्रीपंच अग्नि अखाड़ा, श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा, श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा, श्री महानिवा4णी पंचायती अखाड़ा, श्री अटल पंचायती अखाड़ा शामिल हैं। रामानंदाचार्य बैरागी अखाड़ों के तीन अखाड़े श्री निर्वाणी अणी, श्री दिगम्बर अणी और श्री निर्मोही अणी शामिल हैं। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव जी के बेटे श्रीचंद्र भगवान द्वारा स्थापित उदासीन संप्रदाय के दो अखाड़े श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा और श्री पंचायती उदासीन नया अखाड़ा तथा सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह महाराज द्वारा स्थापित श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा शामिल हैं।
स्नान परंपरा
तेरह अखाड़ों में से केवल सात अखाड़े ही श्री दशनामी नगा संन्यासी परंपरा के हैं। इन्हें कुंभ और अर्द्धकुंभ मेलों में सबसे पहले स्नान का अवसर मिलता है। इन सात अखाड़ों के बाद बैरागियों के तीन अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के दो अखाड़े तथा सिखों की निर्मल संत परंपरा के एकमात्र अखाड़े को स्नान का अवसर मिलता है। सबसे आखिर में श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा अर्द्धकुंभ और कुंभ का स्नान करता है।.
उत्तराखंड में अखाड़ों की भू-संपत्तियों को लेकर है विवाद
प्रयागराज में अर्द्धकुंभ मेले के स्नान से पहले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा और श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के महंतों में जमकर अखाड़ेबाजी हो रही है। दोनों अखाड़ों के महंत एक-दूसरे को बर्खास्त करने पर तुले हुए हैं। यह विवाद अखाड़ों की अरबों रुपए की भू-संपत्तियों को लेकर है।
