अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर शीर्ष अदालत गुरुवार को चैंबर में विचार करेगी। इस फैसले ने अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इन पुनर्विचार याचिकाओं पर चैंबर में विचार करेगी। पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल हैं। फैसला सुनाने वाली संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई चूंकि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए उनके स्थान पर संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शामिल किया गया है।
अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई कार्यसूची के अनुसार संविधान पीठ चैंबर में कुल 18 पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करेगी। इनमें से नौ याचिकाएं तो इस मामले के नौ पक्षकारों की हैं। जबकि शेष पुनर्विचार याचिकाएं तीसरे पक्ष ने दायर की हैं। इस मामले में सबसे पहले दो दिसंबर को पहली पुनर्विचार याचिका मूल वादी एम सिद्दिक के कानूनी वारिस मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने दायर की थी। इसके बाद छह दिसंबर को मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन ने दायर कीं।
इन सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त है। इसके बाद नौ दिसंबर को दो पुनर्विचार याचिकाएं और दायर की गई थीं। इनमें से एक याचिका अखिल भारत हिंदू महासभा की थी। जबकि दूसरी याचिका 40 से अधिक लोगों ने संयुक्त रूप से दायर की। संयुक्त याचिका दायर करने वालों में इतिहासकार इरफान हबीब, अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक, मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, नंदिनी सुंदर और जॉन दयाल शामिल हैं।
हिंदू महासभा ने अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करके मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को आबंटित करने के निर्देश पर सवाल उठाए हैं। महासभा ने फैसले से इस अंश को हटाने का अनुरोध किया है जिसमें विवादित ढांचे को मस्जिद घोषित किया गया है।
विदित हो कि 14 मार्च, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने स्पष्ट कर दिया था कि सिर्फ मूल मुकदमे के पक्षकारों को ही मामले में अपनी दलीलें पेश करने की इजाजत होगी। पीठ ने इस मामले में कुछ कार्यकर्ताओं को हस्तक्षेप करने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था।