जम्मू और कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मोहम्मद अशरफ भट आतंकियों के डर के मारे रिश्तेदारों के घरों में छिपकर वक्त बिताने को मजबूर हैं। मोहम्मद अशरफ भट की पहचान भारत का समर्थन करने वाले धड़े के साथ खड़े लोगों के रूप में होती है। इस बात का खामियाजा भट को चुकाना पड़ रहा है।

69 वर्षीय भट के पिता और दो भाई आतंकियों की गोली से अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले एक दशक में मोहम्मद अशरफ और उनके परिवार पर दर्जनों बार आतंकी हमले हो चुके हैं। इनसब के बीच मोहम्मद अशरफ को प्रशासन की तरफ से कोई सुरक्षा नहीं मिली है। टेलीग्राफ की खबर के अनुसार जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद सबसे अधिक जो नेता प्रभावित हुए हैं उनमें मोहम्मद अशरफ भी शामिल हैं।

खबर के अनुसार केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने की घोषणा के बाद कश्मीर के भारत समर्थित धड़ा रातोंरात सरकार की नजरों में ‘राष्ट्र विरोधी’ हो गया है। इनमें से कई नेताओं को सरकार की तरफ से मिली सुरक्षा को भी वापिस ले लिया गया है।

5 अगस्त से सुरक्षा बलों की तरफ से कश्मीर में बंदिशों को लागू कराया जाना शुरू हुआ है इसके बाद से मोहम्मद अशरफ एक रिश्तेदार से दूसरे रिश्तेदार के घर भटकने के लिए मजबूर हैं। उनके परिवार में पत्नी वजीरा, आतंकियों द्वारा मारे गए भाई कि विधवा और दो बच्चे लगातार आतंकियों हमलों के खौफ के साये में दिन गुजार रहे हैं।

आतंकी बुरहान वानी और जाकिर मुसा के इलाके त्राल में मोहम्मद अशरफ के परिवार को ‘भारत के साथ खड़ा’ माना जाता है। हालांकि, मोहम्मद अशरफ के बेटे विदेश में रह रहे हैं। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि हमें 25 लोगों (अद्धसैनिक बल) की सुरक्षा मिली हुई थी लेकिन वे लोग हमें ऐसे समय में छोड़ कर चले गए जब हमें उनकी बहुत अधिक जरूरत थी। हम यह नहीं बता सकते मोहम्मद अशरफ भट साहब कहां हैं लेकिन उन्हें खुद के और अपने परिवार के राजनीति में होने का अफसोस हो रहा है।

खबर के अनुसार इस संबंध में एसएसपी इम्तियाज हुसैन ने परिवार की सुरक्षा हटाए जाने की बातों को नकार दिया। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि किसी भी राजनीति नेता की सुरक्षा को वापस नहीं लिया गया है। हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि भारत समर्थित राजनेताओं की सुरक्षा को या तो हटा लिया गया है या फिर उसे कम कर दिया गया है।