सर्च इंजन गूगल ने डूडल बनाकर भारतीय चित्रकार जैमिनी रॉय को उनकी 130वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी है। जैमिनी रॉय भारतीय कला के बंगाल स्कूल के अगुआ पेंटर में थे। उनकी कला शैली पर भारतीय लोक कला का गहरा असर था। रॉय का जन्म 11 अप्रैल 1887 को पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के बेलियातोर में हुआ था। उन्होंने कोलकाता (तब कलकत्ता) को गवर्नमेंट स्कूल ऑफ आर्ट में कला की शिक्षा ली थी।
आर्ट स्कूल में कला के बंगाल स्कूल के संस्थापक अविंद्रनाथ टैगौर उनके गुरु थे और वाइस-प्रिंसिपल थे। रॉय को पश्चिमी कला की क्लासिक परंपरा का प्रशिक्षण मिला था लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपनी जड़ों की तलाश शुरू कर दी और लोक और आदिवासी कला से प्रेरणा लेकर रचनाकर्म शुरू कर दिया। माना जाता है कि रॉय की कला पर सबसे ज्यादा प्रभाव कालीघाट पाट स्टाइल का पड़ा था जिसमें मोटे ब्रश स्ट्रोक का उपयोग किया जाता है।
रॉय ने बहुत जल्द ही कैनवास और ऑयर पेंट का इस्तेमाल बंद करके लोक कलाकारों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री का प्रयोग शुरू कर दिया। जैमिनी रॉय ने रामायण और श्री कृष्ण लीला से जुड़े चित्रों के साथ ही आम जीवन के नर-नारियों तक के चित्र बनाए। रॉय ने अपने चित्रों में सात प्राकृतकि रंगों का ही ज्यादातर प्रयोग किया है।
रॉय ने पश्चिमी कला और भारतीय लोक कला के सम्मिश्रण से अभूतपूर्व चित्रों का निर्माण किया। 1940 के दशक में रॉय की लोकप्रियता चरम पर थी। उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क में अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगायी। 1946 में रामायण पर बनाए उनके 17 कैनवास उनकी कला का सर्वोच्च शिखर समझे जाते हैं। रॉय को 1954 को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1972 में उनका निधन हो गया।