ज्ञानवापी मस्जिद और कुतुब मीनार को लेकर विवाद के बीच मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद उत्तर प्रदेश के देवबंद में 28 और 29 मई को विशाल सभा ​​करेगा। इस सम्मेलन में ज्ञानवापी समेत दूसरे बड़े मुद्दों पर चर्चा होगी और भविष्य को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी। देवबंद में होने वाले इस सम्मेलन में देशभर के 5000 मुस्लिम बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे।

देशभर में पिछले कुछ महीनों से वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद, ताजमहल और तमाम इमारतों को लेकर हो रहे कानूनी मुकदमों और विवादों को लेकर मुस्लिम संगठन लगातार गोलबंदी करते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में देवबंद में होने वाले इस सम्मेलन में मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़े कई प्रस्ताव भी पास किए जाने की संभावना है। ये सम्मेलन जमीयत के दूसरे बड़े मौलाना महमूद मदनी की अगुवाई में किया जा रहा है।

ज्ञानवापी मामले में हस्तक्षेप नहीं: जमीयत उलेमा हिंद देश में इन दिनों चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद के खिलाफ सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित कर सकता है। इससे पहले जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद असद मदनी ने मुस्लिम संगठनों से ज्ञानवापी मामले में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह किया था। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों से आह्वान किया था कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और किसी भी तरह के सार्वजनिक प्रदर्शन से बचा जाए।

सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए: जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा कि कुछ शरारती तत्व इस मामले के बहाने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश में हैं, इसलिए हमें संयम बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में मस्जिद कमेटी एक पक्षकार के रूप में सभी अदालतों में मुकदमा लड़ रही है। हमें उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे। देश के बाकी सभी संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें।’’

क्या है कुतुब मीनार विवाद: कुतुब मीनार विवाद तब शुरू हुआ जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने दावा किया कि कुतुब मीनार का निर्माण हिंदू सम्राट राजा विक्रमादित्य ने किया था न कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने। उन्होंने कहा कि मीनार का निर्माण सूर्य की दिशा का अध्ययन करने के लिए किया था। यह भी दावा किया गया कि परिसर में हिंदू देवताओं की मूर्तियां भी मिली थीं।