इरोम शर्मिला वापस इम्‍फाल के JNIMS हॉस्पिटल के स्‍पेशल वार्ड आ गई हैं। मगर इस बार वे कैदी बनकर नहीं, बल्कि मरीज बनकर आई हैं। आॅर्म्‍ड फोर्सेज स्‍पेशल पावर एक्‍ट के खिलाफ 16 साल चले अनशन को तोड़ने के 24 घंटे बाद शर्मिला की वापसी की वजह लोगों की नाराजगी है। अस्‍पताल से डिस्‍चार्ज होने के बाद शर्मिला ने जिस कॉलोनी में कुछ समय रहने का मन बनाया था, वहां के लोगों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। स्‍थानीय लोग शर्मिला के अनशन तोड़ने से नाराज हैं। इसके बाद उन्‍हें इस्‍कॉन मंदिर ले जाया गया, लेकिन वहां भी उन्‍हें जगह नहीं मिली। जब पुलिस ने शर्मिला को रखने की अन्‍य जगहों के बारे में सोचा, तो वे उन्‍हें इम्‍फाल सिटी पुलिस स्‍टेशन लग गए। आखिर में, शर्मिला को JNIMS अस्‍पताल के उसी वार्ड में ले जाया गया, जहां उन्‍हें इतने सालों से रखा गया था। हॉस्पिटल पहुंचने के बाद शर्मिला ने कहा, ”मैं अपनी दुनिया में वापस जाऊंगी।”

बुधवार को शर्मिला के चारों तरफ उनके समर्थन में आए मानवाधिकार कार्यकर्ता और दोस्‍त मौजूद रहे। हालांकि पुलिस उनकी सुरक्षा में लगी रही, लेकिन लोगों से मिलने पर लगी रोक में कुछ ढील शर्मिला को दी गई है। इसके बाद कई राष्‍ट्रीय-अंतर्राष्‍ट्रीय पत्रकारों का जमावड़ा अस्‍पताल में लग गया। अपने ही लोगों द्वारा ‘ठुकराए’ जाने पर शर्मिला ने कहा, ”मैं बहुत निराश हूं। उस वक्‍त मुझे लगा कि उनके लिए सबसे अच्‍छी चीज यही होगी कि वे मुझे पीट-पीट कर मार डालें। पिटाई से मरने और उपवास से मरने में क्‍या फर्क है, ज्‍यादा नहीं। वे हमेशा मुझे एक शहीद बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन हैं हमेशा शहीद नहीं रह सकती।” हॉस्पिटल अधिकारियों ने शर्मिला को बताया कि वह एक महीने तक यहां रह सकती हैं। लेकिन शर्मिला अस्‍पताल में और ज्‍यादा रुकना नहीं चाहती। शर्मिला ने कहा कि वह जल्‍द ही अस्‍पताल से चली जाएंगी।