IRCTC Indian Railways: यात्री किराए में हजारों करोड़ रुपए के नुकसान में चल रही भारतीय रेलवे ने इसकी भरपाई के लिए दूसरा तरीका खोजा है। रेलवे अब पूर्व में विज्ञापन के लिए इस्तेमाल ना होने वाले ट्रेनों के इंजनों पर विज्ञापन देकर कमाई करने जा रहा है। अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट द वायर ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नेशनल ट्रांसपोर्टर अब गंभीरता से सभी रेल इंजनों को कॉर्पोरेट ब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति देगा।
वायर के मुताबिक कारोबारी गौतम अडानी और अमूल उन पहले कुछ संस्थानों में से हैं, जिन्हें रेलवे इंजन पर उनके विज्ञापन देने के प्रस्ताव के लिए चुना गया है। गैर किराया राजस्व की पहल के तहत रेलवे इंजन के अलावा ट्रेनों के डिब्बे भी विज्ञापन के लिए उपलब्ध हैं। बता दें कि रेलवे के पास विज्ञापन के लिए अपने स्पेस का इस्तेमाल करने के लिए बहुत अधिक संभावनाएं हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि रेलवे के देशभर में 6,000 से अधिक स्टेशन हैं। इसकी 13,000 ट्रेनें रोजाना 65,000 किमी के ट्रैक के विशाल नेटवर्क पर चलती हैं और 2.3 करोड़ यात्रियों को यहां से वहां ले जाती हैं।
रेलवे ने इससे पहले अपने गैर किराया राजस्व को बढ़ाने के लिए साल 2016 में विनाइल रैपिंग के माध्यम से कोचों पर विज्ञापनों की अनुमति दी थी। असल में साल 2016 में ट्रांसपोर्टर ने गैर किराया राजस्व के इतर 10,000 करोड़ रुपए के राजस्व का लक्ष्य तय किया था। हालांकि तब रेलवे के इस प्रस्ताव को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली और गैर किराया राजस्व अपने न्यूनतम स्तर पर रहा। जानकारी के मुताबिक तब कुछ निजी फर्म को छोड़कर रेलवे कोचों का इस्तेमाल विज्ञापन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वर्तमान में रेलवे के कुल राजस्व में विज्ञापन से होने वाली आमदनी पांच फीसदी भी नहीं है। अब इसपर सख्ती से अमल करने की जरुरत है।’ अब गैर किराया राजस्व बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे ने सभी राज्यों से लिखित में कहा है कि वो अपने पर्यटन स्थलों, कल्याणकारी योजनाओं और सफल उपक्रमों को प्रदर्शित करने के लिए अपने विज्ञापन माध्यमों के रूप में ट्रेनों का इस्तेमाल करें।