भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) 1995 बैच के एक अधिकारी को केंद्र ने अपालन के आधार पर सेवा मुक्‍त कर दिया है। मध्‍य प्रदेश सरकार ने इसकी सिफारिश केंद्र को की थी। चार साल पहले भोपाल के पुलिस मुख्‍यालय में आईजी (कम्‍युनिटी पुलिसिंग) रहे मयंक जैन की उज्‍जैन, इंदौर और रीवा स्थित संपत्तियों पर लोकायुक्‍त पुलिस ने छापा मारा था। भ्रष्टाचार निरोधी संस्‍था ने दावा किया था कि उसे वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं और छापे के दौरान आय से अधिक संपत्ति और करोड़ों की प्रॉपर्टी का पता चला।

एडिशनल सेक्रेट्री के हस्‍ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है, ”केंद्र सरकार ने राज्‍य सरकार के प्रस्‍ताव और मयंक जैन के प्रदर्शन को ध्‍यान में रखते हुए यह तय किया है कि जनहित में इस अधिकारी का सेवा में बने रहना उचित नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार ने उन्‍हें सेवा से पहले ही रिटायर करने का फैसला किया है।” 13 अगस्‍त की तारीख वाले इस पत्र में राज्‍य सरकार से अधिकारी को तीन महीने के वेतन-भत्‍तों का चेक देने को कहा गया है।

मध्‍य प्रदेश के एक वरिष्‍ठ नौकरशाह ने नाम न छापने की शर्त पर द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि इस मामले में नियमों का पालन किया गया है। 20 साल की सेवा या 50 साल की उम्र पार करने वाले अधिकारियों के प्रदर्शन का आंकलन किया जाता है। इस मामले में कार्रवाई 1956 के अखिल भारतीय सेवा नियमों (मृत्यु-सेवानिवृत्ति लाभ) के नियम 16 उप नियम 3 के तहत की गई है।

हालांकि इस नौकरशाह ने यह कहा कि जल्‍द रिटायरमेंट का आदेश छापेमारी के बिना भी आता। उन्‍होंने कहा, ”एक न्‍यायिक प्रक्रिया छापेमारी पर नजर रखेगी, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई नॉन-परफॉर्मेंस के आधार पर की गई है।”

राज्‍य सरकार अब केंद्र को वह तारीख बताएगी जब यह अधिकारी रिटायर होंगे और इसकी एक नोटिफिकेशन दिल्‍ली भेजी जाएगी। मध्‍य प्रदेश सरकार ने 3 मार्च को केंद्र से जैन को समयपूर्व रिटायरमेंट देने की सिफारिश की थी।