परमाणु हथियारों से लैस आईएनएस अरिहंत नौसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है। पांच महीने तक समंदर में चले सफल परीक्षण के बाद इसे हरी झंडी दिखा दी गई है। इस पनडुब्‍बी को नौसेना में शामिल किया जाना अब सिर्फ औपचारिकता मात्र है। यह पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्‍बी है, जो कि बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता रखती है। भारत आईएनएस अरिहंत जैसी दो और परमाणु पनडुब्‍बी बना रहा है।

क्‍या हैं इसकी खासियत

इस पनडुब्‍बी में 12 शॉर्ट रेंज K-15 मिसाइल और 4 लंबी दूरी की K-4 बैलिस्टिक मिसाइल तैनात की जा सकती हैं। शॉर्ट रेंज मिसाइल 700 किलोमीटर तक मार सकती है, जबकि लंबी दूरी की मिसाइल 3500 किलोमीटर तक दुश्‍मन का खात्‍मा करने की क्षमता रखती है।

आईएनएस अरिहंत के सफल परीक्षण के बाद भारत अब पानी के अंदर, जमीन और हवा से परमाणु हमले करने में सक्षम हो गया है। चीन और पाकिस्‍तान भारत को समंदर में घेरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आईएनएस अरिहंत के आने से उन्‍हें करार झटका लगा है।

भारत सरकार ने वर्ष 1970 में आईएनएस अरिहंत के प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दी थी। 1984 में इसके लिए डिजाइन और टेक्‍नोलॉजी को फाइनल किया गया था। 1998 में प्राइवेट सेक्‍टर की मदद से इसे बनाने का कार्य शुरू किया गया था। 2009 में अरहिंत को पहली बार पानी में उतारा गया था। हालांकि, 2013 में इस पर लगे रिएक्‍टर में कुछ समस्‍या आ गई, जिसके बाद इसके कई टेस्‍ट किए गए थे। 2016 में लगातार इसके परीक्षण किए गए और अब यह नौसेना में शामिल के लिए पूरी तरह तैयार है।

भारत आईएएनएस अरिहंत जैसी 6 परमाणु पनडुब्‍बी बनाना चाहता है, जिन पर 90,000 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है।