देश में पहली बार महिला SWAT कमांडो टीम का गठन किया गया है। इस दस्ते को स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले तैनात किया जा रहा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात होगा। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 15 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद इस दस्ते को तैयार किया गया है। देशी-विदेशी एक्सपर्ट्स ने इस दस्ते को ट्रेनिंग दी है। ट्रेनिंग के दौरान महिला दस्ते को बम डिफ्यूज करना, इमारतों पर चढ़ना और बंधकों को छुड़ाना सिखाया गया है। खास बात यह है कि इस दस्ते ने बीते शुक्रवार (10 अगस्त, 2018) से अपना काम शुरू कर दिया है। इससे पहले इस महकमे में सिर्फ पुरुषों का वर्चस्प हुआ करता था। जानकारी के मुताबिक महिला SWAT दस्ता बनाने से पहले 36 महिलाओं को 15 महीने तक कड़ी ट्रेनिंग दी गई। उन्हें आधुनिक हथियार चलाने सिखाए गए। आतंकवादियों से निपटने की परिस्थितियों के बारे में सिखाया गया। क्राव मागा (इस्राइल के सुरक्षा बलों द्वारा संचालित सैन्य आत्मरक्षा तकनीक) में पूर्ण दक्षता हासिल करने के बाद इन्हें स्पेशल वेपन्स एंड टैक्टिस (SWAT) टीम में शामिल किया गया है। महिला की कमांडो की यह टीम सभी पांच पुरुष SWAT टीमों के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में काम करेंगी।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रमोद कुशवाहा ने इसकी जानकारी दी है। मामले में पुलिस अधिकारी ने थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन को बताया कि इन महिलाओं ने SWAT में सिर्फ पुरुषों के होने के वर्चस्प को तोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि लोगों को आमतौर पर इस तरह गलतफहमियां रहती है कि महिलाएं यह नहीं कर सकती हैं या महिलाएं इस तरह के काम नहीं कर सकती हैं। लेकिन में गर्व से यह कह सकता हूं कि महिलाएं बराबर हैं। कभी ये पुरुष कमांडो से भी बेहतर होती हैं।
बता दें कि भारत के पुलिस बल में पुरुषों का खासा दबदबा है। आकंड़ों के मुताबिक सभी अधिकारियों में महिलाओं का संख्याबल महज सात फीसदी के करीब है। ये सरकार के 33 फीसदी के लक्ष्य से काफी पीछे है। जानकारी के मुताबिक जिन महिलाओं को SWAT टीम में शामिल किया गया है वो सभी भारत के नोर्थ-ईस्ट से हैं। कुशवाहा के मुताबिक इस क्षेत्र की महिलाएं “कुछ कौशल पर बहुत बेहतर” और “मजबूत भी” थीं।