रेलवे ने स्टेशनों के बाहर भीड़ का प्रबंधन करने, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स की निगरानी करने और रेलवे ट्रैक्स पर नजर रखने के लिए तीसरी आंख का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। रेलवे ने इसके लिए सभी जोनल हेड्स को कैमरा लगे ड्रोन का इस्तेमाल करने को कहा है। रेल मंत्रालय की तरफ से एक वक्तव्य जारी कर कहा गया है कि कैमरा (UAV/NETRA) का इस्तेमाल रेलवे की विभिन्न गतिविधियों, खासकर प्रोजेक्ट्स की निगरानी, रेलवे ट्रैक्स के रख-रखाव और अन्य आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए किया जाएगा। वक्तव्य में कहा गया है कि इसके लिए सभी जोनल हेड्स को पहले ही दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं और उन्हें इस तंत्र को विकसित करने के लिए जरूरी संसाधनों और उपकरणों की खरीद का निर्देश भी दिया जा चुका है।
मंत्रालय की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि यह रेलवे की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत रेलवे यात्री सुरक्षा और ट्रेनों के नियमित संचालन के लिए आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर देता रहा है। बता दें कि मानवरहित ड्रोन रेल दुर्घटनाओं के बाद राहत एवं बचाव कार्य की निगरानी में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इसलिए इसकी तैनाती वहां भी की जाएगी। इसके अलावा ऑनगोइंग प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग, ट्रैक के हालात एवं उसकी निगरानी से जुड़े कार्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल नॉन इंटरलॉकिंग कार्यों की तैयारी का जायजा लेने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा किसी खास अवसर पर या मेला के दौरान स्टेशनों पर लगने वाली भीड़ की भी निगरानी की जा सकती है। रेलवे की विभिन्न यार्ड्स की हवाई निगरानी, स्क्रैप्स की निगरानी के अलावा रियल टाइम इनपुट देने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
बता दें कि अक्सर ट्रेनों बिना किसी खास वजह के देरी से चला करती हैं। इससे हवाई निगरानी के जरिए न केवल त्वरित सूचनाएं पाई जा सकेंगी बल्कि दुर्घटना की स्थिति का भी समय रहते पता लगाया जा सकेगा। अगर सही तरीके से इसका इस्तेमाल हुआ तो रेलवे में यात्रा करना न केवल सुरक्षित होगा बल्कि समय पर भी यात्रा पूरी की जा सकेगी।