Former CJI DY Chandrachud: भारत के पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत की न्यायपालिका में वंशवाद और पुरुष, हिंदू और अपर कास्ट का वर्चस्व यानी दबदबा होने से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों में 50 फीसदी महिलाओं की नियुक्ति हुई है। इसमें और भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही ज्यूडिशियरी में ऊंचे और जिम्मेदार पदों पर भी महिलाएं होंगी।
बीबीसी इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अगर आप भारतीय न्यायपालिका में भर्ती के सबसे निचले स्तर पर नजर डालें, तो निचली अदालतें ज्यूडिशियर सिस्टम का आधार हैं और वहां अगर देखेंगे तो जो नई भर्तियां हुई हैं, उनमें 50 पर्सेंट महिलाएं हैं। ऐसे राज्य भी हैं जहां महिलाओं की भर्ती 60 या 70 फीसदी तक हो जाती है।’ डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि जहां तक हायर ज्यूडिशियरी की बात है तो वो अभी दस साल पहले के लीगल प्रोफेशन को दिखाती हैं और आने वाले समय में बड़े पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी भी देखी जाएगी।
वंशवाद के सवाल पर क्या बोले डीवाई चंद्रचूड़
जब उनसे वंशवाद पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ ने उनसे कहा था कि जब तक वे भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं, तब तक वे किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस ना करें। चंद्रचूड़ ने कहा, ‘इसलिए मैंने हार्वर्ड लॉ स्कूल में अपनी पढ़ाई के लिए तीन साल बिताए। उनके रिटायर होने के बाद मैंने पहली बार अदालत में एंट्री की। अगर आप भारतीय न्यायपालिका की प्रोफाइल को देखें तो ज्यादातर वकील और जज कानूनी पेशे में पहली बार एंट्री कर रहे हैं।’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां एलीट क्लास, अपर कास्ट, हिंदुओं के वर्चस्व का सवाल है तो स्थिति इसके बिल्कुल उलट है, इंडियन ज्यूडिशियरी में ऐसा कुछ भी नहीं है।
सरकारी खैरात के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त
सीएए का सवाल
जब चंद्रचूड़ से नागरिकता संशोधन अधिनियम से जुड़े मामले के बारे में पूछा और यह भी कि उनके कार्यकाल के दौरान इस पर सुनवाई क्यों नहीं हुई, तो उन्होंने जवाब दिया कि मामला लंबित है और उन्होंने ब्रिटेन का एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, ‘अगर यह ब्रिटेन में होता, तो अदालत के पास इसे अमान्य करने का कोई अधिकार नहीं होता। भारत में हमारे पास कानून को अमान्य करने का अधिकार है, मैंने अपने कार्यकाल के दौरान संविधान पीठ के लिए लगभग 62 फैसले लिखे, हमारे पास संवैधानिक मामले थे जो 20 सालों से लंबित थे, जो अहम मुद्दों से निपट रहे थे।’ पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें पुराने और नए मामलों के बीच संतुलन बनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियों पर जताई नाराजगी पढ़ें पूरी खबर…