भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सरकार को चीन से संबंधित 52 मोबाइल ऐप्स पर पूरी तरह प्रतबिंध लगाने की मांग की है। चीन से लद्दाख के गलवान रिवर फ्रंट पर हुई मुठभेड़ के बाद मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह बात सामने आई है। बताया गया है कि खुफिया एजेंसियों ने जिन ऐप्स के बारे में सरकार को जानकारी दी है, वे सभी बड़ी मात्रा में लोगों के मोबाइल से डेटा निकालने में जुटी हैं और उन्हें सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक कहा गया है।
खुफिया विभाग ने जिन ऐप्स की लिस्ट सरकार को भेजी है, उसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम, शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक और यूसी ब्राउजर, जेंडर, शेयर इट और क्लीन मास्टर जैसी ऐप्स शामिल हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अफसर ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि सरकार के सामने जिन ऐप्स को बैन करने का प्रस्ताव रखा गया है, उन पर उसे नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) मंत्रालय की तरफ से समर्थन मिला है। इन सभी ऐप्स को भारत की सुरक्षा के लिहाज से खतरा माना गया है।
अफसर ने कहा है कि प्रस्ताव पर चर्चा अभी जारी है। हर एक ऐप के खतरे और इससे जुड़े पैरामीटर्स को एक-एक कर के जांचा जाएगा। गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में गृह मंत्रालय ने साइबरसिक्योरिटी एजेंसी कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT) की सलाह के बाद जूम ऐप को लेकर एडवाइजरी जारी की थी। भारत अकेला देश नहीं था, जिसने जूम ऐप को लेकर एडवाइजरी जारी की थी। ताइवान ने भी सरकारी एजेंसियों को जूम न इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इसके अलावा जर्मनी में विदेश मंत्रील ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। अमेरिकी सीनेट (संसद के उच्च सदन) ने भी दूसरी ऐप्स को ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा है।
भारतीय सेना का वो बाहुबली, जिसने 1300 सैनिकों को किया था ढेर
बता दें कि जूम के साथ-साथ टिकटॉक को चलाने वाली चीनी इंटरनेट कंपनी बाइडांस अपनी ऐप से सुरक्षा का खतरा पैदा होने से इनकार करते रहे हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि उन्हें जो इनपुट्स मिले हैं, उस हिसाब से चीनी डेवलपर द्वारा बनाई गईं ऐप्स के स्पाईवेयर (जासूसी ऐप्स) के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती हैं। पहले भी कई रिपोर्ट्स आ चुकी हैं, जिनमें सुरक्षा से जुड़े लोगों को इन ऐप्स के इस्तेमाल से रोकने की सलाह दी गई थी। पश्चिमी देशों से जुड़ी सिक्योरिटी एझंसी भी इन ऐप्स के खतरों पर लगातार रिपोर्ट्स भेजता रहा है।

