रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने शुक्रवार कहा कि अधिक संख्या में हो रही मुठभेड़ों के जरिए काफी संख्या में आतंकवादियों को मारा जा रहा है और इससे यह स्पष्ट हुआ है कि देश की खुफिया व्यवस्था मजबूत हुई है और आतंकवाद निरोधक नेटवर्क सुदृढ़ हो रहा है।
पर्रीकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘अधिक संख्या में मुठभेड़ का मतलब है… हम अधिक संख्या में आतंवादियों को मार रहे हैं, हमारी खुफिया व्यवस्था मजबूत हुई है, हमारा आतंकवाद निरोधक नेटवर्क अब सुदृढ़ हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप आतंकवादियों के मारे जाने और सुरक्षा बलों के शहीद होने के अनुपात को देखें, तो आतंकवादियों के मारे जाने का आंकड़ा सुरक्षा बलों के पक्ष में झुकाव प्रदर्शित करता है (यानी एक सुरक्षाकर्मी के बदले 4.3 या 4.4 आतंकवादी)।’
उन्होंने कहा कि मारे गए आतंकवादियों की संख्या 50 से अधिक हो गई है जबकि केवल 12 सुरक्षाकर्मियों ने जान गंवाई। रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा बलों का नुकसान और कम होना चाहिए, ‘हमारा प्रयास इस दिशा में होना चाहिए।’ पर्रीकर से पूछा गया था कि क्या आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के मामले में वृद्धि का कारण निगरानी में वृद्धि या घुसपैठ के प्रयासों में वृद्धि है। रक्षा मंत्री यहां स्वदेश निर्मित बुनियादी प्रशिक्षण विमान हिंदुस्तान टर्बो ट्रेनर (एचटीटी-40) की उद्घाटन उड़ान को देखने आए थे।
उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में शुक्रवार एक आतंकवादी मारा गया। पर्रीकर ने कहा कि आतंकवादियों की घुसपैठ और मुठभेड़ की अधिकतर घटनाएं जाड़े से पहले होती थीं लेकिन इन पर पहले ध्यान नहीं दिया जाता अथवा इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता था।
उन्होंने कहा कि देश में एक आतंकवादी के बदले एक जवान शहीद हुआ करता था । अब आप कल की ही रिपोर्ट देखें तो घुसपैठ करने का प्रयास करते हुए चार आतंकवादी मारे गए हैं। तीन दिनों में घुसपैठ के दो प्रयास विफल हुए हैं।
भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ की घटनाओं को ‘अतिक्रमण’ करार देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ये चीजें नियंत्रण रेखा के बारे में दोनों देशों के बीच कुछ ऐतिहासिक समस्याओं के कारण पैदा हुई।
उन्होंने कहा, ‘जब भी वे अतिक्रमण करते हैं, हमने या तो उन्हें रोका है और वापस लौटने को कहा है अथवा इस विषय को उनके समक्ष उठाया है। लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि कुल मिलाकर अतिक्रमण जिसका अर्थ नियंत्रण रेखा का उल्लंघन है, में पहले की तुलना में काफी कमी आई है।’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि हमने सीमा पर वरिष्ठ और स्थानीय कमांडर स्तर की वार्ता केंद्रों की संख्या बढ़ाई है। वे स्थिति स्पष्ट करने के लिए आपस में चर्चा करते हैं और मुद्दों का समाधान निकालते हैं। इसलिए संख्या में कमी आई है।’
उन्होंने कहा कि यहां तक कि पिछली घटना में भी हमने उन्हें पीछे लौटाया है और उनके साथ बैठक हुई तथा मुद्दे स्पष्ट हुए ।