भारतीय वायुसेना के सबसे पुराने लड़ाकू विमान मिग-21 की सेवाएं आज समाप्त हो गई हैं। चंडीगढ़ एयर फोर्स स्टेशन से उसे अंतिम विदाई दी गई है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस खास मौके पर मौजूद रहे।

मिग-21 के रिटायर होने पर सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि यह बहुत ही ताकतवर विमान था। पूर्व वायुसेना अध्यक्ष धनोआ ने भी जोर देकर कहा कि इस एक विमान ने भारतीय वायुसेना की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया था। इसकी कमी काफी खलेगी।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, सेवानिवृत्त विंग कमांडर राजीव बत्तीश ने मिग-21 की काफी तारीफ की। उन्होंने बताया कि इतने सारे लोग अगर आज यहां एकत्र हुए हैं, यह बताने के लिए काफी है कि इस विमान की कितनी अहमियत रही और इसकी क्या खासियत रही। उन्होंने यहां तक कहा कि आज भी पश्चिमी देशों के लिए मिग-21 एक पहेली बना हुआ है।

सेवा से रिटायर ग्रुप कैप्टन मलिक ने भी मिग-21 के फेयरवेल में हिस्सा लिया। उन्होंने इसे भावपूर्ण बताया। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मिग-21 के तीन वेरिएंट उड़ाए हैं। लेकिन कहना पड़ेगा कि भारत के पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट से बेहतर और कुछ नहीं था। मैं तो कसम खाकर आज भी कह सकता हूं कि इससे बेहतर और कुछ नहीं होगा।

मिग 21 की बात करें इसका निर्माण 1951 में रूसी वैज्ञानिकों ने मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरों में किया था। वहीं 1961 में भारत का सोविएत संघ के साथ करार हुआ और 1963 में मिग 21 भारत भी आ गए। मिग विमान की सक्रिय भूमिका 1971, 1999 के युद्ध में सबसे ज्यादा देखने को मिली, इसके अलावा बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी उसने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

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