भारत अब नेपाल से सीमा विवाद पर बातचीत को तैयार हो गया है। नई दिल्ली ने काठमांडू से बातचीत के जरिए समस्या को सुलझाने की कवायद तेज कर दी है। सोमवार को आधिकारिक सूत्रों ने संकेत दिया कि नई दिल्ली सीमा विवाद पर काठमांडू के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है अगर केपी शर्मा ओली सरकार “अनुकूल माहौल” और “सकारात्मक स्थिति” बनाती है।
सूत्रों ने बताया कि ओली सरकार को नए मानचित्र की नेपाली संसद से मंजूरी लेने की प्रक्रिया फिलहाल स्थगित करने और बातचीत के लिए बैक चैनल से संदेश भिजवाए गए हैं। सोमवार (15 जून) को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी नेपाल और भारत के संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते रोटी और बेटी से जुड़े हैं और इसे कभी न तो भुलाया जा सकता है, न ही झुठलाया जा सकता है।
बता दें कि नेपाल ने अपने नए नक्शे को मंजूरी देने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया है, जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा शामिल हैं। ये उत्तराखंड के क्षेत्र हैं लेकिन नेपाल स्वामित्व का दावा करता है। ये बिल नेपाल प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित किया जा चुका है और अब उच्च सदन, राष्ट्रीय सभा में उसे पारित होने का इंतजार है। लेकिन उच्च सदन के सदस्य इस बिल के पारित होने से पहले भारत के साथ शीघ्र बातचीत का आह्वान कर रहे हैं।
13 जून को नेपाल की प्रतिनिधि सभा में विधेयक के पारित होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के दावों को ‘कृत्रिम इज़ाफ़ा” बताते हुए खारिज कर दिया था और कहा था कि यह “ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं” है और सीमा विवाद पर “हमारी वर्तमान समझ का उल्लंघन करने वाला” है।
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हालांकि, काठमांडू से बातचीत अब भारतीय प्रस्ताव पर ओली सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। सूत्रों ने कहा, अगर ओली सरकार उच्च सदन में विधेयक को पारित नहीं कराती है तो इसे “एक अनुकूल और सकारात्मक माहौल बनाने” के रूप में देखा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि अगर उच्च सदन से बिल पारित हो जाता है तो उसके बाद आधिकारिक प्रक्रियाओं जिसमें राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर करना और संशोधन की अधिसूचना आदि प्रकियाएं शामिल हैं, का पालन किया जाएगा। अगर नेपाल इन प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता है और उसका तार्किक निष्कर्ष नहीं दिया जाता है, तो इसे एक ऐसे माहौल में योगदान के रूप में भी देखा जा सकता है जहां द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है।