एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि तकरीबन 60 फीसदी भारतीयों को सुरक्षित और निजी शौचालय की सुविधा मयस्सर नहीं है। वाटर एड की ‘इट्स नो जोक-स्टेट ऑफ द वल्र्डस टॉयलेट’ शीषर्क वाली रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर भारत में घरेलू शौचालय के लिए इंतजार कर रहे सभी 77.4 करोड़ लोगों को एक कतार में खड़ा कर दिया गया तो यह कतार धरती से लेकर चंद्रमा तक और उससे भी आगे चली जाएगी।’

विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर गुरुवार को जारी अध्ययन के अनुसार दुनिया की दूसरी सर्वाधिक आबादी वाले देश में 60.4 फीसदी लोग सुरक्षित और निजी शौचालयों से महरूम हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘1990 से इस स्थिति में 22.8 फीसदी का सुधार हुआ है। दक्षिण एशिया में इस स्थिति में सुधार के मामले में वह आठ देशों में सातवें स्थान पर रहा।

दक्षिण एशिया में सर्वाधिक सुधार नेपाल में देखा गया है। उसके बाद पाकिस्तान और भूटान की बारी आती है।’ शौचालय के अभाव में होने वाले स्वास्थ्य के संकट को गंभीर मामला बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल पांच वर्ष से कम आयु के एक लाख 40 हजार बच्चे दस्त से मर जाते हैं।