समाजसेवी अन्ना हजारे ने मंगलवार को कहा कि आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी देश में लोकतंत्र नहीं है। देश को ना तो नरेन्द्र मोदी चाहिए और ना ही राहुल गांधी, क्योंकि दोनों उद्योगपतियों के हिसाब से काम करते हैं। इस बार किसान के हित में सोचने वाली सरकार चाहिए। 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान पर एक नए आंदोलन की जरूरत बताते हुए अन्ना ने कहा कि राजग और संप्रग दोनों सरकारों ने लोकपाल को कमजोर किया गया है। इसलिए एक बार फिर आंदोलन की जरूरत है। अन्ना ने दावा किया कि देश में 22 साल में 12 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस बार लड़ाई निर्णायक होगी। यह आंदोलन 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा।

उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योगपतियों की सरकार नहीं चाहिए। ना ही मोदी चाहिए और ना ही राहुल गांधी। इन दोनों के मन मस्तिष्क में उद्योगपति ही हैं। हमें ऐसी सरकार चाहिए, जिसके दिमाग में उद्योगपति नहीं बल्कि किसान हो। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की सरकार ने लोकपाल का कमजोर ड्राफ्ट तैयार किया। हर राज्य में लोकायुक्त लाने के कानून बदल दिए गए। मनमोहन सिंह के बाद आई मोदी सरकार दूसरा विधेयक ले आई और उसे कमजोर कर दिया। ऐसे में फिर आंदोलन की आवश्यकता है।

उन्होंने यहां किसानों की समस्या और जनलोकपाल मुद्दे पर जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वह जब 25 साल के थे तो उन्होंने आत्महत्या के लिए सोच लिया था लेकिन स्वामी विवेकानंद की किताब मिली और उनकी जिंदगी ही बदल गयी। उसके बाद उन्होंने गांव, समाज और देश की सेवा का संकल्प लिया। इसलिए व्रत लिया कि शादी नहीं करनी है। उन्होंने बताया कि उन्हें 45 वर्ष हो गए घर गए हुए।….बैंक खाते की किताब कहां रखी है, पता नहीं है। मंदिर में रहता हूं और सोने को बिस्तर एवं खाने को एक प्लेट है लेकिन जीवन को जो आनंद मिलता है वह करोड़पति को भी नहीं मिलता होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति का दोहन करने से विनाश होता है। ऐसा विकास शाश्वत नहीं है।