राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत के बाद एलएसी पर जारी तनाव में कुछ कमी आयी है और दोनों तरफ की सेनाएं कुछ पीछे हटी हैं। हालांकि भारत इस पर बारीकी से नजर बनाए हुए है। पीएलए को पूर्वी लद्दाख में चार जगहों से पीछे हटना है लेकिन तीन जगहों से तो चीनी सैनिकों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है लेकिन फिंगर 4 इलाके में अभी चीनी सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया थोड़ी धीमी है।
भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि ‘पैंगोंग त्सो इलाके में चीनी सेना की मूवमेंट पर नजर रखनी होगी, उसके बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंच पाएंगे।’ अधिकारियों के अनुसार, चीनी सेना गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स इलाके में मिलिट्री पॉजिशन के हिसाब से नुकसान में है लेकिन पैंगोंग त्सो इलाके में चीनी सेना की पकड़ मजबूत है।
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, अजीत डोवाल और वांग यी के बीच बातचीत की भूमिका रविवार सुबह से बननी शुरू हो गई थी। दरअसल सैन्य अधिकारियों को सूचना मिली कि चीनी सैनिक सीमा पर सैनिकों की तैनाती को घटा रहे हैं। जब इसकी सूचना आर्मी चीफ एमएम नरवाने को मिली तो उन्होंने डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह को रविवार सुबह 8.45 बजे फोन कर इसकी सूचना दी।
इसके बाद दोनों देशों के राजदूतों ने आपस में संपर्क साधा, जिसके कुछ देर बाद ही एनएसए अजीत डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत तय हुई। बताया जा रहा है कि डोवाल और वांग यी के बीच करीब दो घंटे तक बातें हुई। गलवान घाटी में हुई हिंसा की जिम्मेदारी लेने के मुद्दे पर दोनों के बीच असहमति रही लेकिन कई अन्य मुद्दों पर दोनों के बीच सहमति बनी।
रिपोर्ट के अनुसार, एनएसए अजीत डोवाल ने वांग से मुलाकात में मांग की है कि भारतीय सैनिकों को एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए हमारी पेट्रोलिंग को मंजूरी देनी होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि डोवाल-वांग यी की बातचीत का यही लिटमस टेस्ट है कि जब भारतीय सैनिक पेट्रोलिंग के विवादित इलाके में जाएंगे तो उन्हें चीनी सैनिकों द्वारा रोका जाता है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी।