पाकिस्तान में इंटरनेट की 4G डाउनलोडिंग स्पीड 13.56 Mbps, श्रीलंका में 13.95 Mbps और म्यांमार में 15.56 Mbps है जबकि भारत में यह महज 9.12 Mbps है। कई देशों की इंटरनेट स्पीड से जुड़ी जानकारी दरअसल अमेरिकी स्पीड टेस्टर कंपनी ओपन सिग्नल ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट के हिसाब से भारत 4G इंटरनेट स्पीड के मामले में अपने पड़ोसियों से काफी पीछे है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की औसत 4G इंटरनेट स्पीड 17 Mbps है। दुनिया की औसतन 4G इंटनेट स्पीड के मुकाबले भारत आधे में भी नहीं ठहरता दिख रहा है। भारत की औसतन 4G इंटरनेट स्पीड 6.1Mbps है। इंटरनेट से डाउनलोड करने की स्पीड के मामले में जापान, ब्रिटेन और अमेरिका आगे हैं। जापान में डाउनलोडिंग की 4G इंटरनेट स्पीड 25.39 Mbps है जबकि ब्रिटेन में यह 23.11 Mbps और अमेरिका में 16.31 Mbps है। हाल ही में एक और अमेरिकी स्पीड टेस्टर कंपनी ऊकला (Ookla) ने 124 देशों की इंटरनेट स्पीड की रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारत का नंबर 109वां था। ऊकला की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में डाउनलोडिंग की औसत स्पीड 23.54 Mbps है जबकि भारत में यह 9.12 Mbps है।
जिन 10 देशों की 4G इंटरनेट स्पीड सबसे ज्यादा है, उनमें सिंगापुर 44.31 Mbps स्पीड के साथ पहले नंबर पर है, इसके बाद नीदरलैंड्स 42.12 Mbps दूसरे, नॉर्वे 41.20 Mbps के साथ तीसरे, दक्षिण कोरिया 40.44 Mbps के साथ चौथे, हंगरी 39.18 Mbps के साथ पांचवें, बेल्जियम 36.13 Mbps के साथ छठें, ऑस्ट्रेलिया 36.08 Mbps के साथ सातवें, न्यूजीलैंड 33.52 Mbps के साथ आठवें, बुल्गारिया 33.34 Mbps के साथ 9वें और डेनमार्क 33.09 Mbps के साथ दसवें स्थान पर है।
भारत में इंटरनेट स्पीड कम होने की पीछे की वजह: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में एक बड़ी आबादी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करती है, जिसकी वजह से इंटरनेट की स्पीड में फर्क पड़ता है। भारत में बाकी देशों के मुकाबले बहुत इंटरनेट यूजर्स ज्यादा हैं। जानकारों के मुताबिक भारत में कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं, जिससे इंटरनेट की सिग्नल स्ट्रेंथ और वेबलेंथ पर जरूरत से ज्यादा ट्रैफिक रहता है और स्पीड पर फर्क पड़ता है। इसके अलावा यहां की जटिल नीतियों को के कारण विदेशों के मुकाबले मोबाइल टॉवर लगाना आसान नहीं है। भारत में टॉवर लगाने के लिए अलग-अलग अथॉरिटी से स्वीकृति लेनी पड़ती है। भारत में स्पेक्ट्रम का मूल्य भी विदेशों के मुकाबले ज्यादा है। ऑप्टीकल फाइबर से टॉवर जुड़े होने पर स्पीड अच्छी आती है, भारत में यह पिछले कुछ वर्षों में शुरू हुआ है, पहले टॉवर माइक्रोवेव से जुड़े रहते थे। वहीं विदेशों में ऑप्टीकल फाइबर का अर्से से इस्तेमाल हो रहा है।