भारत में शिक्षा के क्षेत्र में जवाहरलाल नेहरू , मौलाना अबुल कलाम आजाद और राजीव गांधी के योगदान को स्वीकार करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को कहा कि इनकी विरासत को बरकरार रखते हुए त्रिभाषा फार्मूले को बनाए रखने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन, मंदारिन, फ्रेंच भाषा को पढ़ाया जाना जारी रहेगा।
लोकसभा में योजना और वास्तुकला विद्यालय विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्मृति ने कहा कि देश में शिक्षा की विरासत पर अगर ध्यान दिया जाए तो इसमें नेहरू , मौलाना आजाद, राजीव गांधी और अन्य नेताओं ने योगदान दिया है। मैं उनके योगदान से इनकार नहीं करती। लेकिन इसके साथ ही भास्कराचार्य जैसे आचार्यों का भी योगदान है। संस्कृत को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाए जाने के विवाद पर उन्होंने कहा, ‘मैं इस संबंध में त्रिभाषा फार्मूले को बरकरार रखना चाहती हूं। उन्होंने सवाल किया कि क्या जर्मन भारत की तीसरी भाषा है? क्या यह राष्ट्रीय नीति के अनुरूप है?
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि जर्मन, मंदारिन, फ्रेंच जैसी भाषाएं केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाया जाना जारी रहेगा। मंत्री ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ हमेंं यह देखने की जरूरत है कि इस बारे में हमारा सोच क्या है ? हम किस तरह के वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दे रहे हैं।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस ने केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के तौर पर जर्मन की जगह संस्कृत भाषा शुरू करने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह अनावश्यक है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने लोकसभा में कहा, ‘जर्मन भाषा पढ़ाने को लेकर पूरा विवाद अनावश्यक है। अगर केंद्रीय विद्यालयों के बच्चे जर्मन भाषा सीखते हैं तो क्या नुकसान है।
स्मृति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में विश्व स्तरीय शिक्षकों को लाने की पहल की जा रही है और इस बारे में पहल की जा रही है कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सेमेस्टर के दौरान यहां आकर पढ़ाएं।