इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (ICSSR) का चेयरपर्सन चुनने की प्रक्रिया में कथित हेराफेरी सामने आई है। इसके लिए बने कॉलेजियम ने प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक लिस्ट तैयार की थी जिसमें से एक को चेयरपर्सन चुना जाना था। लेकिन जो लिस्ट तैयार की गई थी उसमें से 10 लोगों की मौत पहले ही हो गई थी। उनमें से सात तो ऐसे थे जिनकी मौत कोलेजियम के बनने से भी पहले हो चुकी थी। ICSSR के नियमों के मुताबिक, कमेटी को लोगों में से कुछ को चुनना था जिसमें से तीन के नामों को फाइनल करके सरकार को भेजना था। फिर उन तीन नामों में से किसी एक नाम पर मानव संसाधन मंत्रालय (HRD) को मोहर लगानी थी।

दो मई को HRD ने बृज बिहारी कुमार के नाम को चेयरमैन के पद के लिए फाइनल किया। 76 साल के कुमार त्रैमासिक पत्रिका वार्ता और चिंतन श्रीजान के एडिटर रह चुके हैं। अब उन्हें तीन साल के लिए ICSSR का नया चेयरमैन बनाया गया है। कुमार को इसी प्रक्रिया द्वारा चुना गया है। अबतक ए के थोराट इस पद पर बने हुए थे जो कि पिछले महीने रिटायर हो गए। कुल 244 नामों की लिस्ट तैयार की गई थी। जिसमें के किसी एक को चुना जाना था। इस लिस्ट को थोराट के चेयरमैन रहते ही तैयार किया गया था।

इन नामों पर हैरानी: इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्ट्रोरिकल रिसर्च (ICHR) निहार रंजन राय (जिनकी 1981 में मौत हो गई थी), बी आर ग्रोवर (जिनकी 2001 में मौत हुई), के एस लाल (जिनका 2002 में निधन हुआ), आर कुलकर्णा (2009 में निधान हो गया था), आर एस शमा, (2011 में मौत), रविंदर कुमार (2001 में मौत) का नाम भी कोलेजियम में शामिल किया गया था। इसके अलावा भूगोलशास्त्री एल एस भट्ट का भी नाम कोलेजियम में शामिल था। जिनकी 2013 में मौत हो गई थी।

इतना ही नहीं लिस्ट में इतिहासकार बिमल प्रसाद और ICSSR के पूर्व प्रमुख रजनी कोठारी का भी नाम शामिल था। दोनों की 2015 में मौत हो गई थी। जावेद आलम का भी नाम शामिल था जिनकी पिछले साल मौत हुई।

इस मामले पर इंडियन एक्सप्रेस ने HRD मिनिस्ट्री से बात करनी चाही लेकिन कोई जवाब नहीं आया। वहां मौजूद एक सूत्र ने इसे बेवकूफी भरा काम बताया। ICSSR के सचिव वीरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने कहा कि काउंसिल 2014 में बनी थी और उस वक्त ही नाम भी दे दिए गए थे। उन्होंने कहा कि 200 नाम में से 10 नाम ही ऐसे होंगे जिनकी पहले मौत हो गई हो। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि 1981 में हुई मौत लोगों को क्यों शामिल किया गया तो उन्होंने कुछ साफ नहीं कहा।