आयकर विभाग ने लंदन में रहने वाले वकील सरोश जायवाला से संपर्क किया है। उनसे उन शिपिंग कंपनियों से जुड़ाव के बारे में बातचीत की गई है, जिन्होंने अमिताभ बच्चन को निदेशक बना रखा है। जायवाला ने ही 1990 में बच्चन भाइयों को बोफोर्स मामले से बाहर निकाला था। जायवाला ही वह शख्स हैं जिन्होंने अमिताभ के भाई अजिताभ और दिवंगत शिपिंग मैगनेट मेहरनूश खजोटिया के बीच पार्टनरशिप कराई। इसी साझेदारी के तहत 1990-91 के बीच कई शिपिंग कंपनियां स्थापित की गईं।
इन्हीं कंपनियों में से एक नील शिपिंग कंपनी लि. (बहामास) ने ट्रैम्प शिपिंंग लि. (बहामास की वही कंपनी जिसके अमिताभ बच्चन निदेशक थे) से 1994 में एक जहाज अधिगृहीत किया था। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग ने पिछले महीने जायवाला को लिखकर उनसे पनामा पेपर्स की जांच में मदद की मांग की थी। द इंडियन एक्सप्रेस को भेजे एक ई-मेल में जायवाला ने कहा, ”हां, भारत के आयकर विभाग ने मुझसे संपर्क कर मेरी मदद मांगी है। मेरा जवाब था कि मैं उनकी गुजारिश पर गौर करूंगा अगर वे मुझसे वैध रूप में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के जरिए संपर्क करेंगे।”
कई कंपनियों के कागजात में अमिताभ बच्चन को इन कंपनियोंं का निदेशक बताया गया है, टेलीकांन्फ्रेंसिंग के जरिए उनके बोर्ड मीटिंग में शामिल होने के रिकॉर्ड मौजूद हैं, और अजिताभ बच्चन के स्वामित्व वाली कंपनी से जहाज भी खरीदा गया। अमिताभ बच्चन ने इन कंपनियों से किसी तरह का संबंध होने से साफ इनकार किया है।