UPA सरकार ने साल 2008 में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेंटर (EMMC) बनाया था जिसके माध्यम से टीवी चैनलों पर नजर रखी जाती है। अब इसका कॉन्ट्रैंक्टर बदलने जा रहा है। जाहिर सी बात है प्राइवेट कंपनी सस्ते कर्मचारियों को प्राथमिकता देगी। ऐसे में बहुत सारे कर्मचारियों को नौकरी जाने का डर सताने लगा है। अभी यहां पर ब्रॉडकास्ट इंजिनियरिंग कंसल्टेंट इंडिया लिमिटेड (BECIL) हायरिंग से जुड़े काम को देखता है लेकिन 2021 से यह कॉन्ट्रैंक्ट GeM (गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस) को दे दिया जाएगा।
बहुत सारे ऐसे कर्मचारी भी हैं जो कि एक दशक से यहां पर काम कर रहे हैं। उन्हें यह भी डर है कि उन्हें बाहर नौकरी मिलने में भी दिक्कत होगी क्योंकि वे मीडिया मॉनिटरिंग का ही काम करते हैं। यहां काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया, हो सकता है कुछ ही दिनों में हमें टर्मिनेशन लेटर थमा दिया जाए। या फिर अब से भी कम सैलरी पर काम करने को कहा जाए।
यूपीए सरकार ने अपने शासनकाल में सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत प्राइवेट टीवी चैनलों की कॉन्टेंट की मॉनिटरिंग करने के लिए इसका गठन किया था। इसके तहत देखा जाता है कोई टीवी चैनल नियमों का उल्लंघन तो नहीं कर रहा है। खास तौर पर केबल टीवी कानून 1995 और केबल टीवी नियम 1994 का ध्यान रखा जाता है। एक पुराने कर्मचारी ने कहा, ‘हम मॉनिटरिंग करते हैं लेकिन किसी चैनल के खिलाफ कार्रवाई की मांग नहीं कर सकते हैं। मंत्रालय किसी नियम का उल्लंघन होने पर थोड़ा बहुत दंड लगाता है।’
यहां पर न्यूज अनैलिसिस, ऐडमिनिस्ट्रेशन, कंपाइलेशन, टेक्निकल विंग और न्यूजरूम समेत कई विभाग हैं। न्यूजरूम विंग सभी टीवी चैनलों के प्राइम टाइम शो और डिबेट पर नजर रखते हैं। ऐंकर के विचार, ओपनिंग और क्लोजिंग रिमार्क के आधार पर रिपोर्ट बनाकर जमा की जाती है। कुछ लोग यहां पर न्यूज वेबसाइट और अखबारों पर भी नजर रखते हैं। एक कर्मचारी का कहना है, ‘हर कोई इस काम को नहीं कर सकता है। इसके लिए तेज नजरें, समझ और समर्पण की जरूरत है।’