मनमुताबिक कानूनी सलाह मिलने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जो फाइनल रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी है, उसमें पुदुचेरी यूनिवर्सिटी की वीसी चंद्रा कृष्णमूर्ति को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई है। उन पर धोखाधड़ी का आरोप है। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने कृष्णमूर्ति को बर्खास्त करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनका इस्तीफा सही अधिकारी को नहीं भेजा गया। अगर राष्ट्रपति इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं तो कृष्णमूर्ति ऐसी दूसरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रमुख होंगी, जिसे एनडीए सरकार ने बर्खास्त किया है। स्मृति के मंत्रालय ने इसी साल फरवरी में विश्व भारती के वाइस चांसलर सुशांत दत्तागुप्ता को आर्थिक और प्रशासनिक गड़बडि़यों के आरोप में हटाया था।
22 नवंबर 2014 को द इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि कृष्णमूर्ति ने अपनी किताब के लिए न केवल साहित्यिक चोरी की, बल्कि सीवी में कुछ ऐसी किताबों का भी जिक्र किया जो कभी छपी ही नहीं। उन्हें 21 अगस्त 2015 को राष्ट्रपति ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इससे पहले, उनके खिलाफ यूजीसी ने जांच शुरू की। जांच में उन्हें गंभीर अकादमिक धोखाधड़ी का दोषी पाया गया। यह भी पाया गया कि उनकी डिलीट की डिग्री फर्जी है। कृष्णमूर्ति ने इस साल राष्ट्रपति के नोटिस का जवाब भी दिया था। लेकिन सरकार उनके जवाब से असंतुष्ट थी। इस साल मई में उन्होंने बर्खास्तगी के डर में इस्तीफा दे दिया, लेकिन इस्तीफा राष्ट्रपति के बजाए एचआरडी मिनिस्ट्री को भेजा गया था। केंद्र सरकार ने उन्हें यह गलती ठीक करने कहा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इस महीने की शुरुआत में एचआरडी ने कानून मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कानूनी राय मांगी। मंत्रालय ने एक हफ्ते में फाइल वापस करते हुए उन्हें हटाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।