आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के आने के बाद दुनिया बदल सी गई है। AI इंसानों जैसे काम करने लगा है, जिससे नौकरियों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच AI आधार और यूपीआई पेमेंट जैसे प्लेटफॉर्म्स को कैसे प्रभावित कर सकता है, इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। आधार के फाउंडर CTO श्रीकांत नधमुनि ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि किस प्रकार से AI हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है।
‘आप इंसान हैं, इसे साबित करना बड़ी चुनौती’
श्रीकांत नधमुनि ने कहा, “मैंने OpenAI, हार्वर्ड, MIT और UC बर्कले के रिसर्चर्स के एक ग्रुप के साथ मिलकर एक पेपर लिखा है। यह पेपर ‘व्यक्तित्व-प्रमाणपत्र’ की खोज करता है, जो इस तेज़ी से बदलते डिजिटल परिदृश्य में अपनी मानवीयता साबित करने का एक तरीका है। जैसे-जैसे दुनिया AI की ओर बढ़ रही है, AI को इंसानों से अलग करना मुश्किल हो रहा है। यह पता लगाना मुश्किल होगा कि आपने अभी जो वीडियो कॉल की थी वह किसी असली इंसान के साथ थी या AI बॉट के साथ। मैं आपको बता दूं, आप अंतर नहीं पा सकेंगे।”
श्रीकांत नधमुनि ने आगे बताया कि यह एक बड़ी चुनौती है जिसका हम AI-संचालित बॉट के साथ सामना कर रहे हैं। कल्पना करें कि प्रतिरूपण, धोखाधड़ी और फिरौती के हमले जो हो रहे हैं और उनका ऑनलाइन विश्वास और लेन-देन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमें पहले सभी को कई तरीकों से व्यक्तिगत रूप से रजिस्टर्ड करना होगा। आधार बायोमेट्रिक्स एक अच्छा तरीका है। वेरिफिकेशन की कुछ प्रक्रिया है, लेकिन जब मैं ज़ूम कॉल या वीडियो कॉल पर आता हूं, तो क्या मैं उस प्लेटफ़ॉर्म पर ऑथराइज हो सकता हूं जिस पर मैं हूं? यही चुनौती है और यह साबित करना कि आप एक इंसान हैं और बॉट नहीं।”
इंटरनेट पर खत्म हो रहा भरोसा?
श्रीकांत नधमुनि ने कहा कि अगर इंटरनेट पर भरोसा खत्म हो जाता है, तो कल्पना करें कि इसका ज्ञान, कम्युनिकेशन और लेन-देन पर क्या असर होगा। उन्होंने कहा कि तो यहीं पर व्यक्तित्व प्रमाण-पत्र की अवधारणा आती है। मैं इसे कब एक उत्पाद बनते हुए देखता हूँ?
श्रीकांत नधमुनि ने बताया कि आधार का उपयोग व्यक्तित्व प्रमाणपत्र उत्पाद बनाने के लिए काफी आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने पूरी आबादी का आमने-सामने नामांकन किया है। बेशक, प्रमाणपत्र की एक पूरी दूसरी प्रणाली है जिसे ज़ूम या यूट्यूब या उन जगहों पर बनाया जाना है जहां आप मिलते हैं या कंटेंट को कंज्यूम करते हैं। यही चुनौती होगी।