पे कमीशन या वेतन आयोग भारत सरकार द्वारा गठित किया जाता है, जो इसके कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बदलाव की सिफारिश करता है। भारत की आजादी के बाद से अब तक नियमित रूप से 7 वेतन आयोग गठित किए जा चुके हैं। आयाेग का मुख्यालय दिल्ली में है। वेतन आयोग को इसके गठन के 18 महीने के भीतर सिफारिशें देनी होती हैं। आइए आपको बताते हैं अब तक के वेतन आयोगों के बारे में:
पहला वेतन आयोग जनवरी, 1946 को गठित किया गया था। आयोग ने मई, 1947 में भारत की अन्तरिम सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस आयोग के अध्यक्ष श्रीनिवास वरदाचरियार थे। पहले वेतन आयोग में नौ सदस्य थे, जिनमें सैन्य सेवाओं के सदस्य भी शामिल थे।
आजादी के 10 साल बाद दूसरा वेतन आयोग अगस्त, 1957 में गठित किया गया। आयोग ने दो साल बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस वेतन आयोग की रिेपोर्ट से सरकारी खजाने पर 396 मिलियन रुपयों का भार पड़ा था। इस वेतन आयोग के अध्यक्ष जगन्नाथ दास थे। दूसरे पे कमीशन में एक मिलिट्री सदस्य समेत कुल 6 सदस्य थे।
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तीसरा वेतन आयोग अप्रैल, 1970 में गठित किया गया, इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट देने में तीन साल लगा दिए। रघुबीर दयाल की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सरकार की 1.44 बिलियन रुपयों का बोझ सहना पड़ा। इस पे कमीशन में वेतन ढांचे को समग्र बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए गए। तीसरे वेतन आयोग में बिना किसी सैन्य सदस्य के कुल पांच सदस्य थे।
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जून, 1983 को गठित चौथे वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट चार सालों में तीन चरणों में दी। इस आयोग की सिफारिशें लागू करने से सरकारी खजाने पर 12.82 बिलियन रुपयों का बोझ पड़ा। इस कमीशन के चेयरमैन पी.एन. सिंहल थे। चौथे वेतन आयोग में बिना किसी सैन्य सदस्य के कुल पांच सदस्य थे।
पांचवें वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना 9 अप्रैल, 1994 को जारी की गई थी, लेकिन आयोग ने 2 मई, 1994 से काम करना शुरू किया। पांचवे वेतन आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एस. रत्नेवल पांडियन थे। पांचवें वेतन आयोग में तीन सदस्य थे, जिनमें सेना कोई प्रतिनिधि नहीं था।
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जुलाई, 2006 में कैबिनेट ने छठे वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी। जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में कमीशन को 18 महीनों का समय दिया गया। केन्द्रीय कर्मचारियों ने अपना वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल की चेतावनी दे दी थी। इस आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सभी केन्द्रीय कर्मचारियों को 40 प्रतिशत बकाए का भुगतान 2008 में किया गया, 2009 तक सभी कर्मचारियों को बकाया 60 प्रतिशत का भुगतान भी कर दिया गया। छठे वेतन आयोग ने मुख्यत: पे स्केल की संख्या घटाने और पे बैंड के विचार को अपनाने पर ध्यान दिया। इस कमीशन ने ग्रुप-डी कैडर को हटाने की सिफारिश की थी।
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25 सितंबर, 2013 को तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 7वें पे कमीशन के गठन की मंजूरी की घोषणा की। जस्टिस ए.के. माथुर की अध्यक्षता में बने कमीशन ने 19 नवंबर, 2015 को अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी। बुधवार (29 जून) को कैबिनेट ने आयाेग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी।