Jagdeep Dhankhar Vice President Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब संसद के मानसून सत्र की महज शुरुआत ही हुई है। अब सभी के मन में एक ही सवाल आता है कि अब उपराष्ट्रपति का चुनाव कब होगा और यह चुनाव कैसे होता है।

कब तक होगा चुनाव?

संविधान के आर्टिकल 68 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति के पद पर उनकी मृत्यु, इस्तीफा या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद खाली होने के बाद जल्द से जल्द कराया जाएगा। इसमें यह भी साफ किया गया है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल सामान्य तौर पर पांच साल का होता है। खाली पद को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति को पूर्ण कार्यकाल मिलेगा ना कि पिछले उपराष्ट्रपति के बचे हुए कार्यकाल के लिए उनका चुनाव होगा। उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। उनका कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन कार्यकाल खत्म होने के बावजूद वे तब तक पद पर बने रह सकते हैं जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले।

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें भाग लेते हैं। हर मेंबर केवल एक ही वोट डाल सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव में तो संसद के सदस्यों समेत विधायक भी वोटिंग करते हैं। लेकिन उपराष्ट्रपति के चुनाव में यह स्थिति कुछ अलग होती है।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को लेकर जोरदार चर्चा

उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यता

कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में तब तक निर्वाचित नहीं हो सकता जब तक कि वह भारत का नागरिक न हो, 35 साल की उम्र पूरी न कर चुका हो व राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिए योग्य न हो। वह व्यक्ति भी पात्र नहीं है जो भारत सरकार या राज्य सरकार या किसी अधीनस्थ लोकल अथॉरिटी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता हो।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर बोले जयराम रमेश

वोटों की गिनती कैसे की जाती है?

अब उपराष्ट्रपति के वोटों की काउंटिंग के प्रोसेस को आसानी से समझा जाए तो आम चुनाव को तरह सदस्य किसी एक कैंडिडेट को वोट नहीं डालते हैं। वह बैलेट पेपर में सभी उम्मीदवार को पंसद के हिसाब से प्राथमिकता देते हुए 1, 2, 3 लिखते हैं। कैंडिडेट के आगे नंबर लिखना होता है। इसके बाद काउंटिंग के लिए सभी वोट को गिना जाता है। आधे वोट निकालकर 1 जोड़ दिया जाता है। उस संख्या को ही जीत के लिए बहुमत माना जाता है। जगदीप धनखड़ से जुड़ी अपडेट्स के लिए पढ़ें लाइव ब्लॉग