उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू हो चुका है। 26 साल की अंजलि वर्मा की शादी उत्तराखंड में यूनीफ़ॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद इसके तहत पंजीकृत होने वाली पहली 5 शादियों में से एक थी। राज्य सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) में काम करने वाली अंजलि की शादी 9 महीने पहले हुई थी। यूसीसी पोर्टल लॉन्च होने के बाद सोमवार को उन्होंने शादी का रजिस्ट्रेशन कराया। अंजलि ने कहा कि मैंने अपना स्थायी पता, जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र और अपने पति की सभी जानकारी को दस्तावेजों के साथ दर्ज किया। फिर मुझे पोर्टल पर अपलोड किए गए लाइव वीडियो पर गवाही देने के लिए दो गवाह, माता-पिता या स्थानीय अभिभावक लाने पड़े।

कैसे हुआ शादी का रजिस्ट्रेशन

अंजलि के मुताबिक तत्काल सेवाओं के माध्यम से आवेदन करने के बाद सोमवार की सुबह एक मैसेज के माध्यम से पता चला कि पंजीकरण को मंजूरी दे दी गई थी। पोर्टल चलाने वाले ITDA के संदेश में कहा गया है कि उसका पंजीकरण स्वीकृत हो गया है और वह प्रमाण पत्र डाउनलोड कर सकती है। अंजलि ने कहा कि अगर मुझे पासपोर्ट बनवाना है, तो मुझे कोर्ट जाना होगा और वकील करना होगा इसमें बहुत समय लगता है। UCC लागू होने से यह खत्म हो जाएगा। इसके लिए मुझे सिर्फ 250 रुपये की फीस देनी होगी।

वहीं निकेता नेगी रावत UCC के तहत अपनी पहले से पंजीकृत शादी को मान्यता दिलाने वाली पहली महिलाओं में से एक थीं। उनकी शादी 2013 में हुई थी और उन्होंने 2017 में उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम, 2010 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत कराया। राज्य में हर कोई जिसने किसी अन्य अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत कराया है, उसे UCC के तहत अपनी शादी को रजिस्टर कराने के लिए UCC पोर्टल में दस्तावेज जमा करने होंगे।

निकेता ने बताया कि मैंने अपने डॉक्यूमेंट्स तैयार किए और शादी का रजिस्ट्रेशन कराया। उन्होंने बताया कि ‘मेरी शादी 2013 में हुई और 2017 में इसे पंजीकृत कराया। UCC पोर्टल के तहत मैंने लॉग इन किया और विवरण दर्ज किया। रावत ने कहा मैंने कल सभी डॉक्यूमेंट अपलोड कर दिए थे और आज सुबह मंजूरी मिल गई।