पिछले महीने देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह जब किर्गिस्तान के चोपलान अता में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में शामिल हुए थे। लेकिन बाबुओं की लापरवाही से 24 अगस्त को किर्गिस्तान पहुंचे राजनाथ सिंह की यात्रा अंत में समय में खटाई में पड़ने वाली थी। राजनाथ सिंह की इस यात्रा की तैयारी गृह मंत्रालय ने पहले से करी हुई थी लेकिन अंत समय में पता चला कि उनका आधिकारिक विमान उड़ान भरने की हालत में नहीं है। ये विमान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) इस्तेमाल करता है। खास बात ये है कि विमान किसी तकनीकी कारण से नहीं बल्कि लालफीताशाही की वजह से उड़ान नहीं भर सकता था। इस विमान का उड़ान भरने का लाइसेंस निलंबित हो चुका था। गृह मंत्रालय द्वारा इस बारे में हायतौबा माचने और “ऊपर से दबाव आने” पर ही यात्रा के ठीक पहले विमान को उड़ान की अनुमति मिल पायी।
इसी साल 14 जुलाई को नागर विमानन मंत्रालय ने बीएसएफ के एम्ब्रायर एयरक्राफ्ट को एयरक्राफ्ट एक्ट 1934 के तहत अपंजीकृत कर दिया। मंत्रालय के फैसले के पीछे ये तर्क था कि नागरिक विमान होने के बावजूद इसे भारतीय वायु सेना के पायलट उड़ा रहे थे। इसके लिए सेना के पायलटों को डीजीसीए के तहत नागरिक पायलट का लाइसेंस लेना पड़ता जिसके लिए लिखित परीक्षा और टेस्ट देने पड़ते हैं। इन पचड़ों से बचने के लिए विमानन मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया था कि वो बीएसएफ के एयरक्राफ्ट को नागरिक विमान के तौर पर अंपजीकृत करके उसे दोबारा सैन्य विमान के तौर पर पंजीकृत कर दें फिर भारतीय वायु सेना के पायलट बगैर किसी परेशानी के विमान उड़ा सकेंगे। इस सलाह के अनुसार गृह मंत्रालय ने विमानन मंत्रालय को नौ सितंबर 2016 को पत्र लिखकर इस विमान को अपंजीकृत करने का अनुरोध किया। विमानन मंत्रालय ने पत्र पर कार्रवाई करते विमान को अपंजीकृत करते हुए 14 जुलाई 2014 को भारत के राजपत्र में भी इसकी सूचना प्रकाशित करा दी।
नागरिक विमान के तौर पर पंजीकर रद्द कर दिए जाने के बाद की नौकरशाहों के सुस्त रवैये के कारण ये विमान तुरंत रक्षा विमान के तौर पर पंजीकृत नहीं कराया गया। यानी 14 जुलाई से ये उड़ान नहीं भर रहा था। चूंकि राजनाथ सिंह पैर में चोट के कारण स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे इसलिए उन्हें विमान की इस बीच जरूरत भी नहीं पड़ी। लेकिन किर्गिस्तान दौरा करीब देखकर गृह मंत्रालय के हाथ-पांव फूल गए। एक समय तो ऐसा लगा कि जांच और मरम्मत के बाद ये विमान 23 अक्टूबर से पहले उड़ान नहीं भर सकेगा। 25 जुलाई को गृह मंत्रालय ने विमानन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को एक साथ पत्र लिखकर जल्द से जल्द मामले को निपटाने का अनुरोध किया। लेकिन इन पत्रों से मामला तत्काल नहीं सुलझा। गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया, करीब एक महीने की जद्दोजहद और “ऊपर से आए निर्देश के बाद यात्रा से एक दिन पहले इस विमान का रक्षा विमान के तौर पर दोबारा पंजीकरण हो सका।” बीएसएफ ने इन ब्योरों के बारे में भेजे गए सवालों को कोई जवाब नहीं दिया।