विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कहा कि मुसलमानों एवं ईसाइयों की घरवापसी को धर्मांतरण नहीं कहा जा सकता और यह काम सदियों से हो रहा है।
विहिप के घर वापसी कार्यक्रम एजेंडे के बारे में चर्चा करते हुए उसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया ने कहा कि अस्पृश्यता दूर की जाएगी और ब्राह्मण एवं अनुसूचित जाति अपने रसोईघर में साथ मिलकर खायेंगे एवं सुख-दुख आपस में बाटेंगे।
तोगड़िया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अनुसूचित जाति-जनजाति हिंदू परिवार के मित्र समझे जायेंगे।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि ईसाइयों ने (धर्म को) अपनाने, उसका पालन करने और प्रचार करने के संविधान के अनुच्छेद 25 की गलत व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि घर वापसी विहिप ने शुरू नहीं की बल्कि यह जबर्दस्ती धर्मांतरित किए गए लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाने की बहुत पुरानी परंपरा है, करीब 900 साल पहले अयोध्या में रामानुजाचार्य ने इसे शुरू किया था और बाद में कर्नाटक में विद्यारण्य सरस्वती एवं महाराष्ट्र में शिवाजी ने उसे आगे बढ़ाया।
उन्होंने कहा कि 1921 में करीब तीन लाख मुसलमानों को श्रद्धानंद स्वामीजी हिंदू धर्म में वापस लाये थे। उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना अतार्किक है कि घरवापसी से प्रगति, विदेशी मुद्रा विनिमय और विकास बाधित होंगे।’’
तोगड़िया ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण हमेशा विहिप के एजेंडा में रहेगा।