हरियाणा में अपने मकान मालिक के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस नहीं दर्ज होने पर शिकायत लेकर हाईकोर्ट पहुंची तो वह खुद कटघरे में फंस गई। हाईकोर्ट को पता चला कि वह महिला इससे पहले भी कई बार ऐसे केस दर्ज कराए हैं। अकेले जींद में ही 19 बार यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज करा चुकी है।
सिरसा के प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट खारिज कर चुके हैं केस
दरअसल महिला का आरोप है कि वह अपने मकान मालिक के खिलाफ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराने थाने गई तो उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। इस पर वह सिरसा के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां इसकी शिकायत की, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसकी मांग खारिज कर दी। इसके बाद उसने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन हाईकोर्ट को पता चला कि वह पहले भी इस तरह की शिकायतें दर्ज करा चुकी है। अकेले जींद में ही 19 केस यौन उत्पीड़न का दर्ज कराया गया है। हाईकोर्ट ने हरियाणा डीजीपी को उसकी कड़ाई से जांच करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि बलात्कार के मामले में झूठा फंसाया जाना आरोपी और उसके परिवार के लिए परेशानी और अपमान का कारण बनेगा। इसके साथ ही उसकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंच सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह की कार्यप्रणाली को अनियंत्रित रूप से जारी रहने दिया गया तो बड़े पैमाने पर समाज को अपूरणीय क्षति होगी।
न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने हरियाणा के डीजीपी को महिला के आरोपों की कड़ाई से जांच करने और यह पता लगाने का निर्देश दिया कि पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में उसके द्वारा इसी तरह की कितनी शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया, “अगर उसके आरोप झूठे और हेरफेर वाले पाए जाते हैं तो डीजीपी कानून के अनुसार उसके खिलाफ कार्रवाई करें।”
महिला का आरोप है कि उसके मकान मालिक ने उसे मौखिक रूप से परेशान किया और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। इसके बाद उसने पुलिस से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। उसके वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादियों ने उसे उसके किराए के आवास से बेदखल कर दिया है और उसके दस्तावेजों और घरेलू सामानों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। इसलिए एफआईआर दर्ज करने के लिए उसके आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए।