Haryana Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी तक के आए रुझानों में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सरकार बनाती हुई दिख रही है। रुझानों के मुताबिक,अगर ऐसा होता है तो बीजेपी राज्य में हैट्रिक लगाएगी। वहीं कांग्रेस को रुझानों में तगड़ा झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसे में एग्जिट पोल की बात करें तो जितने भी हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल आए वो लगभग सभी गलत साबित होते हुए दिख रहे हैं। क्योंकि ज्यादातर एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा किया था,लेकिन अभी तक के रुझानों में भाजपा हरियाणा में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाती दिख रही है।

ऐसे में हरियाणा में पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी की बात करें तो रुझानों के अनुसार जेजेपी हरियाणा में एक भी सीट नहीं जीत रही है। उसके सभी प्रत्याशी बुरी तरह हार रहे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि जेजेपी का हरियाणा से पूरी तरह से सूपड़ा साफ होता दिख रहा है। दुष्यंत चौटाला खुद अपनी सीट उचाना कलां से 5वें नंबर हैं।

जेजेपी ने हरियाणा के विधानसभा चुनाव में इस बार सांसद चंद्रशेखर आजाद की आसपा (कांशीराम) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। जेजेपी ने जहां 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। वहीं चंद्रशेखर आजाद की आसपा (कांशीराम) ने 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि, 70 सीटों में से जेजेपी का कोई प्रत्याशी जीतता हुआ नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि जेजपी का हरियाणा से सूपड़ा साफ हो जाएगा।

गिरता वोट शेयर, पार्टी छोड़ते नेता, विधानसभा चुनाव में जेजेपी के सामने करो या मरो का सवाल?

ऐसे में कहा जा सकता है कि बीजेपी और कांग्रेस की जोरदार तैयारियों के बीच जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के सामने अपने वजूद को बचाने का संकट है। 2019 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी इस चुनाव से पहले काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था। क्योंकि उसके कई विधायक बागी हो चुके थे। जेजेपी का लोकसभा चुनाव में भी प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था और बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता पार्टी का साथ छोड़ चुके थे।

2019 में जेजेपी ने जीतीं थीं 10 सीटें

जानकारी के लिए बता दें कि जेजेपी ने पहली बार 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब उसने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस दौरान यह हरियाणा और जेजेपी के लिए बड़ी कामयाबी थी। इसके पीछे दुष्यंत चौटाला को बड़ी वजह माना गया था। 2019 के चुनाव नतीजों के बाद जेजेपी ने खट्टर सरकार को समर्थन दिया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चलाई थी। यह सरकार साढ़े चार साल तक चली और इस साल मार्च में बीजेपी और जेजेपी के रास्ते अलग-अलग हो गए।

किसानों का विरोध पड़ा भारी

जेजेपी के प्रदर्शन को देखकर यह कहा जा सकता है कि जेजेपी को किसानों का विरोध भारी पड़ा है। जेजेपी के नेताओं को किसान आंदोलन के दौरान बीजेपी के साथ खड़े रहने की वजह से जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा था। लोकसभा चुनाव के दौरान जब दुष्यंत चौटाला की मां और विधायक नैना चौटाला जेजेपी के टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ रही थीं तब उन्हें किसानों के जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था।

जेजेपी को लोकसभा चुनाव में नहीं मिला 1 प्रतिशत वोट

लोकसभा चुनाव में भी जेजेपी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और वह किसी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी। उसकी हालत इस कदर खराब रही कि वह एक प्रतिशत वोट भी हासिल नहीं कर पाई। जेजेपी लोकसभा चुनाव में भी हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से किसी एक सीट पर भी बढ़त नहीं बना सकी। और उसके सभी प्रत्याशी हारते हुए नजर आ रहे हैं।