कई माह पहले भारत सरकार ने यह दावा किया था कि इराक के मोसुल में आइएस की ओर बंधक बनाए गए 39 बंधक पूरी तरह सुरक्षित हैं। लेकिन अब जिंदा बच गए चालीसवें बंधक हरजीत मसीह (25) ने सरकार के दावे पर सवाल उठा दिया है। गुरुवार को उसने दावा किया कि सभी अगवा लोगों को गोली से उड़ा दिया गया था। उनके बचने की उम्मीद न के बराबर है।
पिछले साल जून को आएसआइएस ने इन लोगों को अगवा किया था। मसीह का दावा है कि अपहरण के कुछ दिन बाद ही इन लोगों की हत्या कर दी गई। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को फिर कहा कि सभी 39 भारतीय सुरक्षित हैं। उन्होंने यह बात पीड़ितों के परिवारों से कही।
मोहाली में आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान के आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए मसीह ने कहा कि पिछले साल जुलाई से वह भारतीय सुरक्षा एजंसियों की हिरासत में है। उसे गुड़गांव और नोएडा में विभिन्न ठिकानों पर रखा गया। उसे एक पखवाड़े पहले ही घर जाने दिया गया। मसीह का घरगुरुदासपुर जिले के कालासंघा गांव में है।
हरजीत मसीह ने कहा कि पिछले साल 15 जून को आइएस ने सभी 40 भारतीयों को अगवा किया था। अपहरण के चार-पांच दिन बाद उन सबको आतंकवादी एक पहाडी पर ले गए। सभी को कतार में खड़ा किया गया और पीछे से गोली मारी गई। मसीह का कहना है कि उसके दाहिने पैर में गोली लगी थी। घायल हालत में वह देर तक पड़ा रहा। हत्यारों के जाने के बाद वह छिपने के लिए किसी तरह निकला और जान बची।
मसीह का कहना है कि मेरी दुआ और आशा है कि कोई मेरी तरह सलामत हो। पर ऐसी उम्मीद न के बराबर है। मेरा बचना चमत्कार ही है क्योंकि सभी लाशें खून में डूबी पड़ी थीं। मारे गए लोगों में छह बिहार के और दो पश्चिम बंगाल के थे।
बाकी सब पंजाबी थे। मौत के उस मंजर को याद करते हुए मसीह ने पत्रकारों को बताया कि जान बचाकर भागने के बाद वह कुछ दिन बांग्लादेशी युवकों के साथ रहा। इसके बाद मैंने इरबिल में उस निर्माण कंपनी से संपर्क किया, जहां वह काम करता था। उन लोगों ने मुझे भारतीय दूतावास के हवाले कर दिया। अधिकारी लोग मुझे भारत लेकर आए और दो हफ्ते पहले तक गुड़गांव और ग्रेटर नोएडा में छिपाकर रखा।
मसीह का कहना है कि खुफिया अधिकारियों ने उससे यही कहा कि बाकी 39 बंधक लोगों के परिजनों की ओर से मेरी जान को खतरा है। इन लोगों की बात मेरी समझ में नहीं आई कि किस तरह मेरी जान को खतरा हो सकता है।
इस बीच मसीह के दावे पर प्रतिक्रिया जारी करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उन्हें हरजीत के इस दावे में कोई सच्चाई नजर नहीं आती कि 39 भारतीयों को मार दिया गया है। उन लोगों की खोज जारी रहेगी। नई दिल्ली में स्वराज ने गुरुवार को पीड़ितों के परिवारों से कहा कि एक साल पहले बंधक बनाए गए सभी 39 भारतीय सुरक्षित हैं।
सुषमा ने पिछले साल जून में मोसुल से भारतीयों को अगवा किए जाने के बाद से पीड़ितों के परिवार के साथ सातवीं बार मुलाकात की है। उन्होंने विभिन्न सूत्रों से मिलने वाली सूचना के आधार पर इन नागरिकों की कुशलता के बारे में परिवारों को फिर से आश्वस्त किया। विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार भारतीय कामगारों की सुरक्षित व जल्द रिहाई के लिए गंभीरता से सभी प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा-इससे पहले छह सूत्रों ने हमें बताया था कि भारतीय जीवित हैं। अब हमारे पास दो और सूत्र हैं जिन्होंने इसकी पुष्टि की है। इनमें से एक इतनी दृढ़ता के साथ विश्वास योग्य है कि उस पर भरोसा नहीं करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि सभी 39 भारतीय जीवित हैं।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि सुषमा ने इससे पहले खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) में अपने समकक्ष विदेश मंत्रियों के साथ क्षेत्र के अन्य मित्र देशों के साथ व्यक्तिगत तौर पर बात की थी ताकि बंधक भारतीयों की सुरक्षित रिहाई में उनकी मदद हासिल की जा सके। सुषमा ने पीड़ित लोगों के परिवारों को आश्वस्त किया कि जैसे ही सरकार को कामगारों की सकुशलता के बारे में कुछ ठोस प्रमाण मिलेंगे, वे उनके साथ साझा करेंगी। इस मुलाकात के दौरान खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर भी मौजूद थीं।
उधर आप सांसद भगवंत मान ने कहा कि सुरक्षा एजंसियों ने मसीह को अपनी हिरासतत में इसलिए रखा क्योंकि इससे उनके दावे की पोल खुल जाती। मान ने कहा कि सुषमा स्वराज ने कहा था कि मसीह भारतीय अधिकारियों के पास है, लेकिन यह कभी नहीं बताया कि वह भारत में है।