आज देश में बैसाखी का त्योहार मनाया जा रहा है। सिख समुदाय इसे नए साल के तौर पर सेलिब्रेट करता है। बैसाखी की धूम पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इस दिन रबी की फसल की कटाई होती है, इसलिए बैसाखी किसानों के लिए भी खास त्योहार होता है।
पंजाब और उत्तर भारत में इस त्योहार को बैसाखी, तो बंगाल में पोहेला बोएसाख, असम में बोहाग बिहु, केरल में विशु, तमिल में पुथान्दु के रुप में मनाया जाता है। बैसाखी का संबंध फसलों से भी है। सिख समुदाय में माना जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में इसी दिन से खालसा पंथ की शुरुआत की थी। सिख समुदाय इस त्योहार को पूरे धूमधाम से मनाता है। सिख समुदाय बैसाखी के अवसर पर नगर कीर्तन का आयोजन भी करता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं।
इस दिन लोग सुबह स्नान आदि के बाद नए कपड़े पहनकर गुरुद्वारे जाते हैं और वहां होने वाली खास प्रार्थनाओं में शरीक होते हैं। अरदास (प्रार्थना), कीर्तन के बाद भक्तों में कड़ा प्रसाद वितरित किया जाता है। इसके बाद लंगर में लोग खाना खाते हैं। बताया जाता है कि बैसाखी के दिन ही मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को इस्लाम कबूल ना करने के चलते उत्पीड़न के बाद उनकी हत्या करवा दी थी।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में यूं मनाया गया बैसाखी का पर्व।
रंजीत बावा का पंजाबी गाना 'जट्ट मेले आ गया' बैसाखी के लिए पॉपुलर है। तीन साल पहले आए इस गाने को आज भी बहुत पसंद किया जाता है। बैसाखी के दिन यह गाना कई जगहों पर बजाया जाता है। ये एक डांस नंबर है।
बैसाखी के दिन कई घरों में कुछ मीठा खाने की परंपरा रही है। इस दिन मावे की खीर भी बनाई जाती है। हम आपको बताते हैं कि यह खीर आप कैसे बना सकते हैं।
सबसे पहले दूध को अच्छे से गर्म कर लें। अब इसमें सारे सूखे मेवे और मखाना डाल दें।
कुछ देर तक इन्हें पकने दें। ध्यान रखें थोड़ी थोड़ी देर में खीर को चलाते रहें, जिससे दूध बर्तन से चिपके नहीं।
जब दूध उबलकर गाढ़ा हो जाए और तीन चौथाई रह जाए, तब इसमें चीनी मिलाएं और पांच मिनट तक पकाएं।
अब गैस बंद कर दें। इसमें इलायची पाउडर और केसर डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
आपकी खीर बनकर तैयार है। आफ चाहे तो गर्म-गर्म सर्व करें या फिर फ्रिज में रखकर ठंडा सर्व करें
सुनहरी धूप बरसात के बाद,
थोड़ी सी ख़ुशी हर बात के बाद,
उसी तरह हो मुबारक आपको,
ये नई सुबह कल रात के बाद
अन्नदाता की खुशहाली
और समृद्धि के पर्व
बैसाखी पर आप सभी को
ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाइयां
बैसाखी के दिन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं। गुरुद्वारों को सजाया जाता है, भजन-कीर्तन कराए जाते हैं। लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हें। घरों में कई तरह के पकवान बनते हैं और पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता है।
बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।
असम में बैसाखी को बीहू, तो बंगाल में पोइला बैशाख के तौर पर मनाते हैं। इस त्योहार को तमिलनाडु में पुथांडू, केरल में पूरन विशु और बिहार तथा नेपाल में सत्तू संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। एक अन्य मान्यता है कि मोक्षदायिनी गंगा इसी दिन धरती पर उतरी थीं।
सिख समुदाय 14 अप्रैल को बैसाखी का पर्व मना रहा है। यह पर्व सिखों के नए साल के तौर पर ही नहीं बल्कि इस दिन उनके अंतिम गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना भी की थी। सिखों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा 1699 में पवित्र शहर आनन्दपुर साहिब में अलग-अलग जातियों से सम्बन्धित पांच प्यारों को अमृत छका कर खालसा पंथ की स्थापना की थी।
सुनहरी धूप बरसात के बाद,
थोड़ी सी खुशी हर बात के बाद
उसी तरह हो मुबारक आपको ये नई सुबह कल रात के बाद
हैप्पी बैसाखी!
खुशबू आपकी यारी की हमें महका जाती है,
आपकी हर एक की हुई बात हमें बहका जाती है,
सांसें तो बहुत देर लगाती हैं आने-जाने में,
हर सांस से पहले आपकी याद आ जाती है
बैसाखी मुबारक हो
नच ले गाले हमारे साथ
आयी है बैसाखी खुशियों के साथ
मस्ती में झूम और खीर पूडी खा
और न कर तू दुनिया की परवाह
अन्नदाता की खुशहाली
और समृद्धि के पर्व
बैसाखी पर आप सभी को
ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाइयां
सुनहरी धूप बरसात के बाद,
थोड़ी सी खुशी हर बात के बाद
उसी तरह हो मुबारक आपको ये नई सुबह कल रात के बाद
हैप्पी बैसाखी!
नए दौर, नए युग की शुरुआत,
सत्यता, कर्तव्यता हो सदा साथ,
बैसाखी का यह सुंदर पर्व,
सदैव याद दिलाता है मानवता का पाठ
बैसाखी की शुभकामनाएं
बैसाखी आई, साथ में ढेर सारी खुशियां लाई
तो भंगड़ा पाओ, खुशी मनाओ
मिलकर सब बंधु भाई
बैसाखी की शुभकामनाएं
खालसा मेरो रूप है खास,
खालसे में करूं निवास,
खालसा मेरा मुख है अंगा
खालसे के साजना दिवस की आप सब को बधाई