देश की सार्वजनिक डिफेंस कंपनी (DPSU) हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इन दिनों नकदी की समस्या से जूझ रही है। इस साल 31 मार्च तक कंपनी के पास सिर्फ 140 करोड़ रुपए की नकदी बची है, जो कि साल 2004 के बाद से अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की नकदी समस्या का कारण कंपनी का रक्षा मंत्रालय पर करीब 14000 करोड़ रुपए का बकाया है। रक्षा मंत्रालय के अलावा एचएएल का भारतीय वायुसेना पर भी काफी बकाया है। साथ ही बकाए की जो रकम है, वह उस काम की है, जो एचएएल द्वारा पूरा कर दिया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने जब इस बकाए के संबंध में रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना से बात करने की कोशिश की तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला।
रिपोर्ट के अनुसार, एचएल के पास वित्तीय वर्ष 2003-04 में 4,841 करोड़ रुपए का बैलेंस था, उसके बाद अब 2019 में ही यह बैलेंस 140 करोड़ रुपए हुआ है, जो कि काफी कम है। नकदी की समस्या के चलते ही कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ कि कंपनी को अपने कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए सरकार से दिसंबर, 2018 में 962 करोड़ रुपए बतौर उधार लेने पड़े थे। बीते साल 31 दिसंबर तक एचएएल का सुरक्षा बलों पर करीब 15,700 करोड़ रुपए का बकाया है, जो कि एचएएल के सीएमडी आर.माधवन के मुताबिक इस साल 31 मार्च तक 20,000 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
हालांकि नकदी की समस्या के बावजूद एचएएल को मिलने वाले ऑर्डर में कोई कमी नहीं देखी गई है। 31 मार्च, 2019 तक HAL को करीब 58,000 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिल चुके हैं। जिनमें 50,000 करोड़ रुपए 12Su-30MKis विमानों की आपूर्ति के लिए मिला है, जिनकी डिलीवरी मार्च, 2020 तक की जानी है। वहीं बाकी ऑर्डर ध्रुव और चीतल हेलीकॉप्टर्स से संबंधित हैं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, करीब 1 लाख करोड़ रुपए के ऑर्डर कंपनी को मिलने की संभावना है। इनमें 83 हल्के लड़ाकू विमानों तेजस का ऑर्डर और 200 कामोव हेलीकॉप्टर्स, 15 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर्स और 19 डोरनियर विमानों का ऑर्डर शामिल है।

