ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिल गया है। व्यास तहखाने में अब हिंदू पक्ष पूजा करने जा पाएगा। इस समय सभी के मन में यही सवाल है कि आखिर ये व्यास जी का तहखाना क्या है। इसका इतना ज्यादा जिक्र क्यों किया जा रहा है, हिंदुओं के लिए इसकी क्या मान्यता है? आपके इस सवाल का जवाब पता चल गया है, आइए जानते हैं व्यास जी के तहखाने की पूरी कहानी-

असल में व्यास जी का तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे ही स्थित है। दावा ये हुआ है कि इसी जगह पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। हाल ही में ASI ने जो अपना विस्तृत सर्वे किया था, तब भी इसी जगह पर कुछ ऐसे साक्ष्य मिले जिन्होंने वहां मंदिर होने की पुष्टि की। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन के मुताबिक जहां पर नंदी स्थित है, उसी के ठीक सामने व्यास जी का तहखाना है। 1993 तक इस जगह पर पूजा अर्चना की जाती थी। लेकिन तब की मुलायम सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी।

अब इसी रोक को खत्म करने का काम जिला अदालत ने किया है। लेकिन यहां ये समझना जरूरी है कि ये इलाका श्रृंगार गौरी मंदिर से अलग है जिसे लेकर भी पांच हिंदू महिलाओं ने अपनी याचिका दायर की थी। ये श्रृंगार गौरी मंदिर ज्ञानवापी के बगल में स्थित है। वहां पर पूजा के अधिकार को लेकर याचिका दायर की गई थी। उसके बाद ही सर्वे करवाने का आदेश दिया गया और अब व्यास जी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिला। लेकिन ये केस श्रृंगार गौरी से अलग है।

वैसे बुधवार को कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है  कि DM वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग—भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें।