ज्ञानवापी विवाद अब कई नाटकीय मोड़ लाने वाला साबित हो गया है। आज तय हो जाएगा कि ज्ञानवापी में सर्वे करवाया जाएगा या नहीं। पिछली बार जब जिला अदालत की तरफ से सर्वे की हरी झंडी दिखा दी गई थी, हिंदू पक्ष खासा उत्साहित था। ASI की तरफ से भी तुरंत सर्वे का काम शुरू कर दिया गया था। लेकिन इससे पहले कि वो सर्वे पूरा हो पाता, मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और वहां से सर्वे पर रोक लग गई।

क्यों रोक दिया गया था सर्वे?

अब उसी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चली है। 27 जुलाई को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कहा गया था कि 3 अगस्त को सर्वे को लेकर फैसला सुनाया जाएगा। अभी के लिए कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुन लिया है, अब नजर उस फैसले पर है जो इस विवाद की दिशा बदलने जा रही है। अगर हाई कोर्ट सर्वे करने की इजाजत दे देता है तो उस स्थिति में ये हिंदू पक्ष की एक बड़ी जीत रहेगी। वहीं अगर सर्वे पर स्टे लग जाता है तो मुस्लिम पक्ष राहत की सांस लेगा।

मुस्लिम पक्ष की क्या दलील?

सुनवाई के दौरान सबसे बड़ी चिंता इसी बात को लेकर थी कि अगर सर्वे किया जाएगा तो क्या उससे ज्ञानवापी को कोई नुकसान पहुंच जाएगा? मुस्लिम पक्ष ने भी अपनी याचिका में इसी चिंता को रेखांखित किया था। जोर देकर कहा गया था कि किसी भी कीमत पर सर्वे को इजाजत नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि इससे ज्ञानवापी के ठांचे को खतरा है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कुछ तस्वीरें भी शेयर की गईं जिनमें एसआई अधिकारियों के हाथ में फावड़ दिखा। उसी तस्वीर के आधार पर कहा गया कि सर्वे करना सुरक्षित नहीं है।

मुस्लिम पक्ष ने क्या सबूत दिखाए थे?

इसके अलावा मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि उन्हें डर है कि सर्वे की रिपोर्ट को आधार बनाकर मस्जिद को ध्वस्त किया जा सकता है। उनका कहना था कि ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मामले में अभी तक चार्ज फ्रेम तक नहीं हो सके हैं। लेकिन सर्वे का आदेश जारी कर दिया गया। उनका कहना था कि विवादास्पद जगह पर ASI के लोग कुदाल लेकर मौजूद दिखे। उनका कहना था कि सर्वे की मांग करने वाली याचिका जिन लोगों की तरफ से दायर की गई उनके पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ये बता सके कि यहां मस्जिद से पहले मंदिर था। फिर कोर्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है। अदालत का ऐसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

ASI ने क्या सफाई दी?

दूसरी तरफ एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर जनरल आलोक त्रिपाठी सुनवाई के दौरान दो टूक कहा है कि ज्ञानवापी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचने वाला है। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा है कि सर्वे के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल होगा, ऐसे में नुकसान का कोई सवाल नहीं उठता। अब क्या इन दलीलों को कोर्ट स्वीकार करता है या नहीं, इसका फैसला आज हो जाएगा।

ये पूरा विवाद क्या है?

जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की शुरुआत इस साल 16 मई को उस समय हुई थी जब चार वादी महिलाओं ने कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर बाकी जगह का ASI सर्वे करवाया जाए। उस याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई हुई थी और दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अब उसी मामले में शुक्रवार को सबसे अहम फैसला आया और सर्वे की इजाजत दे दी गई।