Gyanvapi Mosque Survey: वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में ASI की टीम ने सर्वे किया। इस दौरान एएसआई की चार टीमों ने अलग-अलग जगहों पर सर्वे किया। ASI की ओर से सर्वे के लिए चार अलग-अलग टीमें बनाई हैं। इसमें एक टीम पश्चिमी दीवार के पास, 1 टीम ने गुंबदों का सर्वे, एक टीम ने मस्जिद के चबूतरे का और एक 1 टीम ने परिसर का सर्वे किया। एएसआई की सर्वे करीब चार घंटे तक जारी रहा। हालांकि मुस्लिम पक्ष की ओर से सर्वे को रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वे पर रोक लगा दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे पर रोक लगाई है। इस दौरान मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में अपील करनी होगी।
4 घंटे के सर्वे में क्या मिला?
एएसआई की 43 सर्वेयर की टीम सुबह 7 बजे ही ज्ञानवापी परिसर में पहुंच गई। टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के बैरिकेड वाले क्षेत्र के कुछ हिस्सों को मापा, तस्वीरें खींची और वीडियो बनाया। टीम ने इस दौरान कुछ जगहों से मिट्टी के नमूने भी लिए। पीटीआई के अनुसार, सर्वे की कार्रवाई से बाहर निकलने के बाद हिन्दू पक्ष के एक अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वेक्षण की कार्रवाई लगभग चार घंटे चली। पहले पूरे परिसर का मुआयना और पैमाइश की गई। चार टीमों को चारों कोने पर लगाया गया था। सर्वे के दौरान चार कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाकर सारी गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया है। परिसर में लगे पत्थर और ईंटों का मुआयना किया गया। चतुर्वेदी ने दावा किया, “हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है और सर्वे का परिणाम हमारे पक्ष में ही आएगा।”
सर्वे में कौन-कौन रहा मौजूद?
एएसआई के सर्वे में सभी पक्षों के वकील और पक्षकार भी मौजूद रहे। इस दौरान चार हिंदू पक्षकार रेखा पाठक, मंजू व्याास, सीता साहू और लक्ष्मी देवी के साथ उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी मौजूद थे। इसके साथ ही शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष वकील राजेश मिश्रा भी मौजूद थे। उनके अलावा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे।
पिछले साल भी हुआ था सर्वे
आपको बता दें कि पिछले साल 6-7 मई को वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद कोर्ट कमिश्नर की देखरेख में सर्वे किया गया था। इस दौरान सर्वे में मस्जिद में हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृतियां मिली थी। इसके अलावा कई ऐसे चिन्ह मिले हैं जो सनातन संस्कृति से जुड़े हैं। इसके अलावा एक कथित शिवलिंग मिला था। इसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। पिछले साल हुए सर्वे में सिर्फ मौके ही मौजूद स्थिति की जांच की गई थी। इसमें परिसर की फोटो और वीडियोग्राफी कराई गई थी। हालांकि उसे सर्वे में किसी भी तरह की साइंटिफिक जांच नहीं की गई थी।