उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में किए गए एएसआई सर्वे की रिपोर्ट जल्द सार्वजनिक हो सकती है। बुधवार को जिला जज ने आदेश दिया कि एएसआई सर्वे की रिपोर्ट हिंदू और मुस्लिम पक्ष को दी जाएगी। एएसआई ने 18 दिसंबर को सील बंद लिफाफे में सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। हिंदू पक्ष की ओर से उसी समय कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट देने की मांग की। हालांकि मुस्लिम पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति दर्ज की गई। एएसआई ने भी 4 हफ्ते तक रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का कोर्ट से आग्रह किया था।
कोर्ट का आदेश आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एक बार उन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट की कॉपी मिल जाए। इसके बाद वह इसका अध्ययन करेंगे। उन्होंने कहा कि जिला अदालत का आदेश आ गया है। दोनों पक्षों की याचिकाएं स्वीकार कर ली गई हैं। दोनों पक्ष प्रमाणित प्रतियों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद, प्रतियां उन्हें सौंप दी जाएंगी।
जैन ने कहा कि अदालत के आदेश के साथ कोई शर्त नहीं जुड़ी है। अदालत का आदेश यह स्पष्ट करता है कि दोनों पक्षों को बिना किसी शर्त के प्रमाणित प्रतियों के लिए आवेदन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आपत्ति दर्ज करने की जरूरत पड़ी तो हम अदालत में आपत्ति दर्ज कराएंगे।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी दाखिल हुई रिपोर्ट
एएसआई ने सर्वे की रिपोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी दाखिल कर दी है। बता दें कि 1991 से ज्ञानवापी का मूल विवाद अब इसी अदालत में चल रहा है। दरअसल पिछली सुनवाई के दौरान एएसआई ने जिला कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट दाखिल करते समय कहा था कि उसे अपनी रिपोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी दाखिल करनी है। ऐसे में इस रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक ना किया जाए। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी तक के लिए टाल दी थी। जानकारी के मुताबिक एएसआई ने चार हिस्सों में करीब दो हजार पन्नों की यह रिपोर्ट अदालत में सील बंद लिफाफे में दाखिल की है।