गुलबर्ग सोसाइटी केस में कोर्ट की ओर से सजा सुनाए जाने की खबर सुनने के बाद पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी अपने आंसू नहीं रोक पाईं। आरोपियों को उम्रकैद देने की मांग करते हुए जकिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘जब गुलबर्ग सोसाइटी में सामूहिक और नृशंस तरीके से हत्या की जा रही थी, मैं वहीं थी, कोर्ट नहीं। मैं लोगों का दर्द देखा है, जो मदद के लिए चिल्ला रहे थे। मैंने लोगों की चीखें सुनी हैं, कोर्ट ने नहीं। मैंने देखा कि उन्होंने धारदार हथियार ले रखे थे। उन्होंने बेदर्दी से निर्दोष लोगों को मारा, जिनमें गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे, किशोर और बुजुर्ग भी शामिल थे। हम कोर्ट के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। हम अपनी आखिरी सांस तक इस लंबी लड़ाई को जारी रखेंगे।’
मामले में कुछ लोगों को रिहा किए जाने पर जकिया ने कहा, ‘वे हमें बचाने या मूकदर्शक बनने के लिए नहीं आए थे। वे भी उस अपराध में शामिल थे। यह केस 14 साल तक लड़ने के बाद, हमें उम्मीद थी कि सभी आरोपियों को उम्रकैद मिलेगी, लेकिन आज का फैसला बिलकुल अलग है। हम कानूनी राय लेने के बाद अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।’
जकिया की बहू दुरईया जाफरी ने कहा, ‘हम इस बयान पर कायम हैं कि हमें अधूरा न्याय मिला है। हम चाहते थे कि इस केस में सभी आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिले और उम्रकैद दी जाए।’ दुरईया ने नरौदा पटिया केस का हवाला देते हुए कहा, ‘कोर्ट ने उस मामले में साजिश के एंगल पर विचार किया था। वहीं, हमारे केस में आरोपी धारदार हथियारों से लैस थे। उन्हें गुलबर्ग सोसाइटी पहुंचकर लोगों पर हमला करने और उन्हें मारने के लिए कहा गया था। वहां दिवंगत एहसान जाफरी और अन्य रहते थे। उन्होंने हर घर की तलाशी ली, फर्नीचर तोड़ डाले और कीमती चीजें लूट लीं। यह योजनाबद्ध तरीके से किया गया।’