भारत सरकार ने निमेसुलाइड के 100 मिलीग्राम से अधिक मात्रा वाली पेन किलर और बुखार की सभी दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर बैन लगा दिया है।
सरकार ने यह बैन औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड से सलाह के बाद औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम, 1940 की धारा 26ए के तहत लगाया है।
खांसी की दवाइयों के लिए भी आदेश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने नोटिफिकेशन में खांसी की दवाइयों को बिना पर्ची के मिलने वाली दवाओं की लिस्ट से हटा दिया है। नोटिफिकेशन में कहा है,” खांसी की दवाइयों के लिए सिरप को अनुसूची K से हटा दिया गया। अनुसूची K में उन दवाओं को रखा जाता है जिन्हें डॉक्टर के पर्चे की बगैर खरीदा जा सकता है। हालांकि खांसी की गोलियां, टैबलेट या लॉज़ेंज इस लिस्ट में शामिल रहेंगे।
22 बच्चों की मौत के बाद उठाया कदम
यह घटना मध्य प्रदेश में मिलावटी कफ सिरप पीने से कम से कम 22 बच्चों की मौत के बाद हुई है। कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें से एक राजस्थान में उसी समय हुआ था जहां छोटे बच्चों को ऐसे कफ सिरप पिलाया गया और उससे उनकी मौत हो गई। ड्रग रेगुलेटर के तहत एक एक्सपर्ट कमेटी ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि “DCC को मिलावटी कफ सिरप की वजह से हाल की घटनाओं के बारे में बताया गया था और यह प्रस्ताव दिया गया था कि खांसी के सिरप के संबंध में दी गई छूट को खत्म कर दिया जाए।”
सभी स्टेकहोल्डर्स से अगले तीस दिनों में अपने सुझाव या आपत्तियां सबमिट करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद ड्राफ्ट को लागू करने पर विचार किया जाएगा।
ICMR ने की थी सिफारिश
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने वयस्कों पर इसके असर की समीक्षा करने के बाद निमेसुलाइड के बारे में यह सिफारिश की। इस सिफारिश को दवा प्रिस्क्राइब करने के बारे में दूसरी सलाह के साथ देश के सबसे बड़े ड्रग रेगुलेटर के तहत एक एक्सपर्ट कमेटी ने स्वीकार कर लिया। निमेसुलाइड कुछ मामलों में लिवर टॉक्सिसिटी का कारण बनती है।
ICMR की दूसरी सिफारिशें में से एक यह भी थी कि इस दवा का इस्तेमाल केवल दूसरी लाइन के इलाज के तौर पर किया जाए, जब दूसरी दवाएं काम न करें या उन्हें प्रिस्क्राइब न किया जा सके, इन्हें कमेटी ने मान लिया था। इसके अलावा, ICMR ने यह भी सिफ़ारिश की थी कि इस दवा का इस्तेमाल गर्भवती, स्तनपान कराने वाली और प्रेग्नेंसी प्लान कर रही महिलाओं पर न किया जाए।
आगे यह भी सिफ़ारिश की थी कि निमेसुलाइड उन मरीज़ों को प्रिस्क्राइब नहीं करनी चाहिए जिन्हें किडनी या लिवर की समस्या है। इसे उन दूसरी दवाओं के साथ भी नहीं देना चाहिए जो लिवर या किडनी के लिए जहरीली हो सकती हैं। यह दवा पहले से ही 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बैन है।
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